
Rajasthan News: राजस्थान में उदयपुर शहर के देवाली क्षेत्र में स्थित नीमच माता मंदिर पहाड़ी की ऊंचाई पर विराजित है. इस मंदिर की चामुंडा स्वरूप की प्रतिमा करीब 450 वर्ष पुरानी है. मान्यता है कि देवी मां की मूर्ति निम के पेड़ से प्रकट हुई थी और तब से इस स्थान को एक धार्मिक केंद्र के रूप में जाना जाता है. मंदिर का इतिहास महाराणा हमीर सिंह के समय का है.
नीम के पेड़ से प्रकट हुई देवी मां
मंदिर के पुजारी लक्ष्मीलाल के अनुसार, ताम्र पत्र और बड़वा की पोथी में दर्ज है कि इस मूर्ति को एक गायरी, लिम्बा गायरी, ने स्थापित किया था. यह गायरी नीम के पेड़ पर पानी चढ़ाता था, जिससे देवी मां प्रकट हुईं. उन्होंने गायरी से अपनी स्थापना और सेवा की बात कही, जिसके बाद मंदिर का निर्माण हुआ.
मूर्ति के तीन अद्भुत स्वरूप
यहां की मूर्ति का चमत्कार यह है कि दिन में तीन स्वरूप बदलती है—सुबह बच्ची, दोपहर में युवा और शाम को वृद्धावस्था का रूप धारण करती है. श्रद्धालु सुख-शांति और संतान प्राप्ति के लिए मन्नत मांगने यहां आते हैं.
रोपवे ने किया भक्तों का सफर आसान
पहाड़ी की चढ़ाई पहले सीढ़ियों या खड़ी घाटी के माध्यम से करनी पड़ती थी, जिससे बुजुर्ग श्रद्धालुओं के लिए दर्शन मुश्किल हो जाते थे. लेकिन पिछले साल रोपवे शुरू होने के बाद माता के दर्शन का मार्ग सुगम हो गया है. भक्त अब आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं.
पर्यटन का केंद्र
नीमच माता मंदिर से पहाड़ी पर से फतहसागर झील और अरावली पर्वत का खूबसूरत दृश्य नजर आता है, जो इसे श्रद्धा के साथ-साथ पर्यटन का केंद्र भी बनाता है. चैत्र नवरात्रि के दौरान मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ रहती है. इस मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व उदयपुर शहर के आकर्षणों में एक प्रमुख स्थान रखता है. नवरात्रि के इस शुभ अवसर पर नीमच माता के दर्शन हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक विशेष अनुभव हैं.
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