Roop Kanwar Sati case: राजस्थान के सीकर जिले में 37 साल पहले हुए सती कांड में अदालत ने इस प्रथा का महिमामंडन करने वाले लोगों को बरी कर दिया है. 4 सितंबर 1987 को 19 साल की उम्र में रूप कंवर ने अपने पति के साथ खुद को जला लिया था. उनकी शादी को तब केवल 7 महीने ही हुए थे. अब 37 साल बाद बुधवार को जयपुर की एक विशेष अदालत ने 8 आरोपियों को दोष मुक्त करार दिया है.
14 सामाजिक संगठनों ने CM भजनलाल शर्मा को लिखा पत्र
अदालत के फैसले के बाद राजस्थान के 14 सामाजिक संगठनों ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को मामले में आरोपियों के खिलाफ उच्च अदालत में जाने की मांग करते हुए एक पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि राजस्थान के महिला संगठन 4 सितंबर 1987 को 19 साल की रूप कंवर के सती करने के बाद से लगातार मामले में इंसाफ की मांग कर रहे हैं.
पत्र में आगे कहा गया है कि इस मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है. निश्चित तौर पर न्यायपालिका द्वारा निर्णयों में देरी और साथ ही आरोपियों को बरी किए जाने से सती प्रथा के महिमामंडन की संस्कृति को ही बल मिलता है.
2004 में भी 17 आरोपियों को किया था बरी
पत्र में कहा गया कि 31 जनवरी 2004 को 17 से ज्यादा लोगों को बरी कर दिया गया था, जिनमें पूर्व स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र सिंह राठौड़, पूर्व खाद्य एवं परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, सती धर्म रक्षा समिति और राजपूत सभा भवन जयपुर के वरिष्ठ नेता शामिल थे. लेकिन उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मामले में दखल देने साफ़ मना कर दिया था. पत्र में कहा गया गया है कि उस समय भी कई संगठन अदालत में गए थे. लेकिन आज तक वह याचिका अदालत में पेंडिंग है.
मामले में दखल देने की मांग
संगठनों ने मांग की है कि भजन लाल सरकार अपने विधि अधिकारियों से इन मामलों में उच्च अदालत में अपील दायर करने के लिए कहें. साथ ही 2004 के मामलों में कानूनी हल के प्रयास हो, ताकि चारों मामलों में जीवित बचे सभी लोगों को कानून द्वारा दंडित किया जा सके. इसके अलावा राज्य में सती प्रथा की संस्कृति को किसी भी तरह से बढ़ावा न मिलने दें.
सती प्रथा को महिमामंडित करने का था आरोप
विशिष्ट न्यायालय सती निवारण जयपुर द्वितीय ने यह फैसला सुनाया. आरोपियों की ओर से एडवोकेट अमनचैन सिंह शेखावत ने पैरवी की थी. इस मामले में कोर्ट ने महेंद्र सिंह, दशरथ सिंह, श्रवण सिंह सहित 8 आरोपियों को बरी कर दिया है. रूप कंवर की मौत को सती प्रथा के रूप में महिमामंडित किया गया था.
बता दें कि रूप कंवर की मौत के बाद देश में सती प्रथा से संबंधित कानून बनाया गया और ऐसे मामलों के निपटारे के लिए विशेष कोर्ट का भी गठन किया गया. आजादी के बाद राज्य में इस तरह के 29 मामले सामने आए थे.
घटनास्थल पर ईंट रखकर चुनरी चढ़ाने लगे थे लोग
रूप कंवर सती कांड में 4 सितंबर 1987 को 18 साल की उम्र में रूप ने पति मालसिंह शेखावत की चिता पर लेटकर खुद को जला लिया था. उनकी शादी को तब केवल 7 महीने ही हुए थे. स्थानीय लोगों ने उनकी मौत के बाद घटनास्थल पर ईंट रखकर चुनरी चढ़ाने लगे थे. साथ ही ऐसी धार्मिक क्रियाएं करने लगे जो रूप कंवर को सती के रूप में महिमामंडित करती हैं.
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