
Maharaja Kanhad Dev: खिलजी वंश का दिल्ली का सुल्तानअलाउद्दीन खिलजी की सेना को खदेड़ने वाले जालोर ज़िले के वीर वीरमदेव की कहानी को राजस्थान ही नहीं, देश का हर बच्चा जान सकेगा, क्योंकि वीरमदेव की 18 फीट ऊंची और 3 टन वजनी प्रतिमा टुंकाली पहाड़ी पर स्थापित की जाएगाी. प्रतिमा को इतनी ऊंचाई पर ले जाना आसान नहीं है, ऐसे में सेना के हेलिकॉप्टर के जरिए इसे पहाड़ी पर पहुंचाया जाएगा.
ऐतिहासिक युद्ध की यादगार में बनाई गई मूर्ति
2 साल में बनी 3 टन वजनी मूर्ति वीरमदेव फाउंडेशन ट्रस्ट अध्यक्ष देवेंद्र सिंह मोछाल ने बताया कि जालोर में कान्हड़देव के पुत्र वीर वीरमदेव की अष्टधातु से बनी 3 टन वजनी प्रतिमा टुंकाली की पहाड़ी पर लगाई जाएगी. इस मूर्ति को बनाने में 2 साल का समय लगा है. भव्य मूर्ति को आप 10 किमी दूर जवाई में खड़े होकर भी देख सकेंगे.
अलाउद्दीन खिलजी को नहीं दिया सोमनाथ जाने का रास्ता
जालोर के महाराजा कान्हड़देव के पुत्र वीरम देव ने अपने पराक्रम से दिल्ली सल्तनत को हिला कर रख दिया था. अलाउद्दीन खिलजी की तुर्क सेना जब गुजरात स्थित सोमनाथ मंदिर को लूटने के लिए निकली तब उसने कान्हड़देव से जालोर से गुजरने के लिए रास्ता मांगा. तत्कालीन शासक ने साफ शब्दों ने इनकार कर दिया था.
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