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Rajasthan: "मुझे राजनीतिक स्वार्थ के लिए मोहरा बनाया गया", अभयदास महाराज बोले- नेताओं ने गुमराह किया

Jalore News: समर्थकों ने अभयदास महाराज से निवेदन किया कि वे फिलहाल जालोर न आएं. उन्होंने तय किया है कि आज सुबह जालोर कलेक्टर ऑफिस जाकर अनुमति लेंगे, तभी हम जालोर आएंगे.

Rajasthan: "मुझे राजनीतिक स्वार्थ के लिए मोहरा बनाया गया", अभयदास महाराज बोले- नेताओं ने गुमराह किया
कथावाचक अभयदास महाराज आमरण अनशन पर भी बैठे थे.

Abhay das maharaj: जालोर के बायोसा मंदिर दर्शन को लेकर उपजे विवाद के बाद कथावाचक अभयदास महाराज शनिवार रात जालोर से तखतगढ़ लौट आए. कल (20 जुलाई) तखतगढ़ में समर्थकों को संबोधित करते हुए साफ किया कि अब वे प्रशासनिक अनुमति मिलने के बाद ही जालोर में कथा करने आएंगे. साथ ही उन्होंने राजनीतिक साजिश का लगाया आरोप भी लगाया. इस दौरान त्रिकमदास धाम, हनुमानजी गली और तखतगढ़ स्थित आश्रम में दर्शन के लिए समर्थकों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. जालोर से आई महिलाओं, युवाओं और श्रद्धालुओं ने निजी वाहनों से पहुंचकर महाराज से निवेदन किया कि वे फिलहाल जालोर न आएं. तभी अभयदास पैदल मूठलिया भवन (गोगरा रोड) पहुंचे और कहा कि हम जालोर जरूर जाएंगे, लेकिन अब पांडाल में चातुर्मास नहीं करेंगे. शाम 6 बजे महाराणा प्रताप चौक पर श्रद्धालुओं को संबोधित कर वो धाम लौट गए.

प्रशासनिक अनुमति के बाद ही जाएंगे जालोर

जालोर से आई महिलाओं की अपील के बाद अभयदास ने भी फैसला बदला. उन्होंने तय किया है कि आज सुबह जालोर कलेक्टर ऑफिस जाकर अनुमति लेंगे, तभी हम जालोर आएंगे. तखतगढ़ में पुलिस बल की तैनाती रही और स्थिति नियंत्रण में रही. अभयदास महाराज ने समर्थकों के सामने आरोप लगाया, "मुझे जालोर के इतिहास की जानकारी नहीं थी. कुछ राजनेताओं ने मुझे गुमराह किया. मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहता, लेकिन यह तय है कि मुझे राजनीतिक स्वार्थों के लिए मोहरा बनाया गया.”

"जो नेता रोटियां सेंक रहे थे, वो सामने आएं"

साथ ही उन्होंने कहा कि जो नेता रोटियां सेंकने के लिए मुझे आगे कर रहे थे, वे अब सामने आएं. वे किसी भी हालत में पितातुल्य गुरुजनों शांतिनाथ महाराज और गंगानाथ महाराज का अपमान नहीं करेंगे और न होने देंगे. उन्होंने कहा, "नाथजी का अखाड़ा मेरी साधना की भूमि है, मैं उससे कभी विमुख नहीं हो सकता. अगर मुख्यमंत्री बनना है तो उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जैसा बनो, जिन्होंने अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई की. राजस्थान में भी यदि अवैध बस्तियों और कब्जों को हटाया जाएगा तो जालोरवासियों को खुशी मिलेगी.”

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