
Ajmer Ram Setu Bridge Collapse: अजमेर में 243 करोड़ की लागत से तैयार रामसेतु ब्रिज (पूर्व में एलिवेटेड रोड) एक बार फिर विवादों में आ गया है. 3 जुलाई को इस ब्रिज पर जमीन धंसने की घटना सामने आई थी, जिसके बाद इसकी गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठे हैं. इसको लेकर शनिवार को जागरूक नागरिकों की ओर से अजमेर की कोर्ट में याचिका दायर की गई. एडवोकेट विवेक पाराशर ने बताया कि रामसेतु ब्रिज को बने हुए 3 साल से अधिक हो चुके हैं. लेकिन इतने बड़े बजट में तैयार इस ब्रिज की गुणवत्ता शुरू से ही संदेह के घेरे में रही है. पहले इस प्रोजेक्ट को "एलिवेटेड रोड" के नाम से जाना जाता था, लेकिन जमीन अधिग्रहण को लेकर हुए राजनीतिक विवादों के बाद इसका नाम "रामसेतु ब्रिज" रख दिया गया.
अब 3 जुलाई को ब्रिज के एक हिस्से पर जमीन धंसने की घटना ने फिर से चिंता बढ़ा दी है. घटनास्थल की तस्वीरों में सड़क पर दरारें और किनारे पर रखी गई मिट्टी व सीमेंट की बोरियां देखी जा सकती हैं, जो अस्थाई मरम्मत की ओर इशारा करती हैं.
कोर्ट में क्या हुआ?
शनिवार को कोर्ट में एडवोकेट पाराशर सहित 15 से अधिक वकीलों की टीम ने याचिका दायर की. इसमें ठेकेदार, निर्माण कंपनी और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ जांच की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि...
ब्रिज तय समय पर तैयार नहीं किया गया.
निर्माण में लापरवाही और घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया.
ठेकेदार पर पेनल्टी लगाई गई, लेकिन उसे माफ कर दिया गया.
पेनल्टी माफ करने और निर्माण कार्य में अनियमितता की जांच हो.
दोषी पाए जाने पर अधिकारियों से वसूली कर सरकारी खजाने में पैसा जमा हो.
सुरक्षा की जांच तक बंद रखने की मांग
याचिका में यह भी मांग की गई है कि जब तक ब्रिज की संरचनात्मक सुरक्षा की जांच नहीं हो जाती, तब तक इसे बंद रखा जाए, ताकि किसी बड़े हादसे को रोका जा सके. बता दें कि मामले की सुनवाई सोमवार को होगी, जिसमें 15 से ज्यादा अधिवक्ता कोर्ट में पेश होकर इस मुद्दे की पैरवी करेंगे.