
Rajasthan News: राजस्थान में जिलों की संख्या को लेकर चल रहे सियासी दांवपेंच का खामियाजा अब प्रदेश के लाखों स्कूली छात्रों को भुगतना पड़ रहा है. जिस राज्य में पिछले दो साल में जिलों की संख्या 33 से 50 हुई और फिर 41 पर आकर रुक गई, उसी राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को यह तक नहीं पता कि उनके प्रदेश में आखिर कितने जिले हैं. यह चौंकाने वाली हकीकत तब सामने आई, जब अजमेर के एक सरकारी स्कूल में NDTV राजस्थान की टीम ने छात्रों से एक साधारण सा सवाल पूछा.
नाका मदार के स्कूल में 'नॉलेज' की कमी
अजमेर के महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय, नाका मदार में कक्षा 6 से लेकर 11वीं तक के छात्रों से जब पूछा गया कि 'राजस्थान में कुल कितने जिले हैं?' तो उनके जवाबों ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए.
कक्षा 11वीं की छात्रा रानी ने जवाब दिया - 33 जिले हैं.
कक्षा 9वीं के छात्र अभिषेक ने बताया - 28 जिले हैं.
10वीं की लक्ष्मी और 12वीं की पूनम ने कहा - 50 जिले हैं.
वहीं, कक्षा 6 की छात्रा यशिका ने इस सवाल पर पहले चुप्पी साधी, लेकिन जब उसे तीन विकल्प (50, 41 और 33) दिए गए, तो उसने तुक्के में 41 जिले कहकर सही जवाब दिया.
यह स्थिति दिखाती है कि सिर्फ जूनियर ही नहीं, बल्कि सीनियर कक्षाओं के छात्र भी अपने राज्य की सबसे बुनियादी जानकारी से अनजान हैं.
राजनीतिक बदलाव और गलत किताबें
इस ज्ञान की कमी के पीछे मुख्य वजह प्रदेश में जिलों की संख्या में बार-बार हुआ बदलाव और उस हिसाब से किताबों का अपडेट न होना है. पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए 17 नए जिलों की घोषणा कर संख्या 33 से 50 कर दी थी. दिसंबर 2024 में भाजपा सरकार आई और उसने 9 जिलों को समाप्त कर दिया, जिसके बाद वर्तमान में जिलों की संख्या 41 हो गई है.
लेकिन स्कूलों की पाठ्यपुस्तकों में, विशेषकर कक्षा 6, 7 और 8 की 'हमारा राजस्थान' पुस्तक में आज भी केवल 33 जिलों का ही जिक्र है. राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (RSCERT) और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. 2023-24 में लगभग 3 लाख किताबें गलत जानकारी के साथ छापी गईं, और 2024-25 में भी यही पुरानी किताबें बच्चों को पढ़ाई जा रही हैं.
एक्सपर्ट्स की चिंता
शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि जब सरकारें सियासी फायदे के लिए जिले बनाती हैं, तो उन्हें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि यह जानकारी तुरंत बच्चों तक पहुंचे. गलत और पुरानी जानकारी के साथ पढ़ाई करने से छात्रों के सामान्य ज्ञान पर नकारात्मक असर पड़ता है, जो आगे चलकर प्रतियोगी परीक्षाओं में उनके लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है.
'मौखिक करेक्शन के आदेश'
पाठ्य पुस्तक मंडल के प्रभारी रतिराम बेनीवाल ने बताया कि पुरानी टेंडर के चलते किताबें पहले ही छप चुकी थीं. फिलहाल, शिक्षकों को मौखिक रूप से 33 की जगह 41 जिलों की जानकारी देने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने यह भी बताया कि नए सिलेबस का मसौदा तैयार हो रहा है, लेकिन माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में चेयरमैन न होने के कारण अंतिम फैसला नहीं हो पा रहा.
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