Rajasthan News: राजस्थान की अजमेर शरीफ दरगाह (Khwaja Gharib Nawaz Dargah Sharif) में मंदिर होने के दावे को लेकर आज अदालत में सुनवाई होगी. वाद दायर करने वाले हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता (Vishnu Gupta) ने बताया, 'कोर्ट में प्रतिवादी बनने के लिए लगाए गए प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई होनी है. हम अदालत से यही मांग करेंगे कि इन अर्जियों को खारिज किया जाए.'
'वर्शिप एक्ट में नहीं आती दरगाह'
गुप्ता ने आगे बताया, 'कुछ एप्लिकेशन ऐसे भी दाखिल किए गए हैं, जिसमें हमारी याचिका पर सवाल उठाया गया है. मैं साफ बता दूं कि दरगाह वर्शिप एक्ट में नहीं आती है. वर्शिप एक्ट में साफ बताया गया है कि पूजा अधिनियम कानून वह है, जिसमें मंदिर-मस्जिद, गिरजाघर और गुरुद्वारा शामिल हैं. इसमें कहीं भी दरगाह या कब्रिस्तान का जिक्र नहीं है.'
'ख्वाजा साहब की शादी के सबूत नहीं'
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कहना है कि चिश्ती परिवार के पास भी कोई ऐसे साक्ष्य मौजूद नहीं हैं, जो यह बता सके कि वह ख्वाजा साहब के वंशज हैं. इतना ही नहीं, उनके पास ऐसे भी कोई सबूत नहीं है कि ख्वाजा साहब ने शादी की हो, जबकि वह एक सूफी संत थे. जब उन्होंने शादी ही नहीं की तो उनके वंशज कहां से आ गए. गुप्ता के अनुसार, सभी एप्लिकेशन खारिज होंगे और हम इसका अनुरोध अदालत से भी करेंगे.'
Ajmer, Rajasthan: Vishnu Gupta, National President of Hindu Sena, filed a petition regarding the presence of a Hindu temple at the Ajmer Dargah
— IANS (@ians_india) January 23, 2025
He says, "Tomorrow, there will be a hearing regarding the petitioners who filed pleas to become respondents in the case. We will demand… pic.twitter.com/YatCL9s5vk
विष्णु गुप्ता को लगातार मिल रही धमकियां
विष्णु गुप्ता ने दावा किया कि उन्हें लगातार धमकी मिल रही हैं. कोई बम से उड़ाने की धमकी दे रहा है, तो कोई जान से मारने की. उन पर केस वापस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. इसलिए उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया है कि सुनवाई के दौरान सिर्फ चुनिंदा लोगों को एंट्री दी जाए, ताकि सुरक्षा व्यवस्था और कानून-व्यवस्था बनी रहे.
राजनेताओं के चादर भेजने पर रोक की मांगख्वाजा गरीब नवाज के सालाना उर्स में राजनेताओं के चादर भेजने पर विष्णु गुप्ता ने कहा, 'हमने प्रधानमंत्री कार्यालय को भी चादर नहीं भेजने के लिए पत्र लिखा था और इस मामले में भी न्यायालय में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था, जो अभी लंबित है. हम कोर्ट से मांग करेंगे कि संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों की तरफ से दरगाह चादर भेजना बंद किया जाए. साल 1947 से जो परंपरा शुरू हुई है, उसे बंद होना चाहिए.'
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