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Rajasthan: आमेर में 500 साल बाद दिखेगी रियासतकाल की अनोखी परंपरा, सांगानेर तक पदयात्रा पर निकलेंगे हजारों लोग

Jaipur News: इस पदयात्रा को ऐतिहासिक दृष्टि से काफी अहम माना जा रहा है. साथ ही यह पदयात्रा ना केवल श्रद्धा का प्रतीक नहीं है, बल्कि एकता और अखंडता का संदेश भी देती है.

Rajasthan: आमेर में 500 साल बाद दिखेगी रियासतकाल की अनोखी परंपरा, सांगानेर तक पदयात्रा पर निकलेंगे हजारों लोग

राजधानी जयपुर के आमेर स्थित श्री ठाकुर सीताराम मंदिर मेहंदी का बास से एक विशाल पदयात्रा देखने को मिलेगी. करीब पांच सौ साल बाद आमेर से सांगा बाबा सांगानेर मंदिर तक सनातन धर्म की पदयात्रा रविवार (9 नवंबर) से फिर से शुरू होने जा रही है. रविवार सुबह 8 बजे जन जागृति चेतना पदयात्रा आमेर में मेहंदी का बास स्थित ठाकुर सीतारामजी के मंदिर से सांगानेर के लिए रवाना होगी. रास्ते में काले हनुमानजी, चांदपोल हनुमान और ध्वजाधीश गणेश मंदिर के दर्शन करते हुए पदयात्री सांगानेर में सांगा बाबा के मंदिर पहुंचेंगे, जहां सभी भक्तों के लिए भोजन प्रसादी का आयोजन भी किया जाएगा.

यात्रा के मार्ग का भी ऐतिहासिक महत्व

श्री ठाकुर सीताराम मंदिर के पुजारी ओमप्रकाश शर्मा ने बताया, "इस पदयात्रा सभी समाज के लोग शामिल होंगे, जो आमेर से सांगानेर तक पैदल चलेंगे. यात्रा का यह मार्ग साधारण नहीं है, क्योंकि यह ऐतिहासिक महत्व का प्रतीक है. इसमें आध्यात्मिक आस्था के साथ-साथ सांस्कृतिक समृद्धि की झलक भी देखने को मिलती है." 

कई वर्षों से बंद थी पदयात्रा 

धरोहर बचाओ समिति से अक्षय पारीक ने बताया कि आमेर में ऐतिहासिक परंपरा पुनः जीवित होने जा रही है. करीब 500 साल बाद आमेर से सांगा बाबा मंदिर तक पचरंगा झंडा फहराने के लिए एक भव्य पदयात्रा का आयोजन किया जा रहा है. 

महाराजा मानसिंह युद्ध में जाने से पूर्व और दुश्मन पर विजय होने के बाद अपने पूर्वजों और सांगानेर के राजा सांगा बाबा का आशीर्वाद लेने जाते थे. काबुल के पांच राज्यों को जीतकर बनाए गए आमेर रियासत काल के पचरंगा झंडे को लेकर राजा मानसिंह सैनिकों और नागरिकों के अपने साथ लेकर सांगा बाबा के मंदिर में पैदल जाते थे. 

मान्यता- काबुल युद्ध से पहले सांगा बाबा ने दिया आशीर्वाद

उन्होंने अपने शासनकाल में 125 युद्धों में विजय प्राप्त की थी. आमेर के स्थानीय लोग और जनश्रुतियों के आधार पर मान सिंह की ओर से शुरू की गई पदयात्रा बरसों पहले बंद हो गई थी. मान्यता है कि काबुल के युद्ध में सांगा बाबा ने अपने वंशज मानसिंह को दर्शन देकर युद्धों में जीतने का आशीर्वाद दिया था. मंदिर में मानसिंह ने पुरी के जगन्नाथ मंदिर को आक्रान्ताओं से भगवान जगन्नाथ भी विराजमान हैं.

रिपोर्ट- रोहन शर्मा

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