Rajasthan News: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और बिहार चुनाव के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ पर्यवेक्षक अशोक गहलोत ने बिहार विधानसभा चुनाव को लोकतंत्र पर सबसे बड़ा हमला बताया है. उन्होंने साफ कहा कि यह चुनाव नहीं बल्कि लोकतंत्र की खुली लूट थी जिसमें भाजपा-जदयू गठबंधन ने चुनाव आयोग की मिलीभगत से पूरी चुनावी प्रक्रिया को अपने कब्जे में ले लिया.
एक करोड़ महिलाओं के खाते में दस हजार रुपये डाले
गहलोत ने सबसे गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि आचार संहिता लागू होने के बाद भी बिहार में एक करोड़ से ज्यादा महिलाओं के बैंक खातों में दस हजार रुपये डाले गए. यह सीधे-सीधे कैश फॉर वोट है. चुनाव से ठीक पहले नई योजना शुरू करना और पैसा डालना साफ दिखाता है कि सत्ता के लिए कितनी बेशर्मी से वोट खरीदे गए. चुनाव आयोग ने सब देखा लेकिन आँखें बंद रखी.
बिहार में खुलेआम बांटे पैसे
गहलोत ने राजस्थान का उदाहरण देते हुए कहा कि 2023 के विधानसभा चुनाव में हमने महिलाओं को स्मार्टफोन देने की घोषणा की थी लेकिन आचार संहिता लगते ही योजना रोक दी गई. सिर्फ तीस फीसदी महिलाओं को ही फोन मिल पाए थे. सामाजिक सुरक्षा पेंशन और अन्नपूर्णा किट जैसी योजनाएँ भी तुरंत बंद कर दी गईं. लेकिन बिहार में उल्टा हुआ. चुनाव के बाद भी पैसा डाला गया और नई योजना शुरू की गई. यही खेल महाराष्ट्र में भी खेला गया था जहां महिलाओं को सात हजार पाँच सौ रुपये बांटे गए थे.
लाखों मतदाताओं के नाम SIR के नाम पर काटे गए
गहलोत ने मतदाता सूची से नाम काटने का गंभीर मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि SIR प्रक्रिया के नाम पर बिना किसी राजनीतिक दल को भरोसे में लिए लाखों लोगों के नाम सूची से हटा दिए गए. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है फिर भी देश के 12 राज्यों में इसे लागू किया जा रहा है. इससे साफ है कि चुनाव आयोग अब एनडीए की जीत का हिस्सेदार बन चुका है.
अब जनता को ही लोकतंत्र बचाना होगा
अशोक गहलोत ने चेतावनी दी कि महाराष्ट्र के बाद बिहार के ये एकतरफा नतीजे पूरे देश के लिए खतरे की घंटी हैं. अब समय आ गया है कि देश का हर नागरिक आगे आए और लोकतंत्र को बचाने का संकल्प ले.
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