Barmer News: राजस्थान के बाड़मेर में ग्रामीणों और सरपंच ने गांव के बच्चों का भविष्य संवारने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. उनके इस कदम की अब पूरे इलाके में चर्चा हो रही है. लिग्नाइट खनन से प्रभावित इस सुदूरवर्ती आकली गांव में सरकारी स्कूल के लिए जमीन नहीं थी. ग्रामीणों की जिद और जिला परिषद की मदद से अब गांव के बच्चों का भविष्य संवरेगा. समतल ज़मीन पर अब नया स्कूल भवन बनाया जाएगा. साथ ही, बच्चों के लिए हरा-भरा खेल का मैदान भी बनाया जाएगा.
ग्रामीणों ने दान कर दी 5 बीघा जमीन
जिले की अकाली ग्राम पंचायत का हिस्सा, गिरल गांव, लिग्नाइट खनन का सबसे पुराना क्षेत्र है, जिसके 10 किलोमीटर के दायरे में कोई दूसरा स्कूल नहीं है. सैकड़ों बच्चे मीलों दूर कुम्हारों की ढाणी में स्थित सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं, जहां सालों से बुनियादी स्कूली सुविधाएं भी नहीं हैं. स्कूल के लिए सरकारी जमीन की कमी के कारण निर्माण कार्य रुका हुआ था, लेकिन ग्रामीणों ने बिना रुके अपनी पांच बीघा जमीन दान कर दी, जिससे स्कूल निर्माण का रास्ता साफ हो गया. हालांकि, चुनौतियां यहीं खत्म नहीं हुईं. दान की गई आधी से ज्यादा जमीन लगभग 100 फीट ऊंचे और 300 मीटर लंबे रेत के एक विशाल टीले से ढकी हुई थी, जिससे वहां स्कूल बनाना बेहद मुश्किल हो गया था.

100 फीट ऊंचे और 300 मीटर लंबे रेत को किया समतल
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सरपंच की जिद और जिला प्रमुख का त्वरित फैसला
इस समस्या को लेकर स्थानीय सरपंच और ग्रामीणों ने मिलकर बाड़मेर जिला प्रमुख महेंद्र चौधरी से गुहार लगाई. बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए जिला प्रमुख ने बिना किसी देरी के बजट स्वीकृत कर दिया। बजट मिलने के बाद, मशीनरी और स्थानीय ट्रैक्टरों की मदद से काम शुरू हो गया. दिन-रात मेहनत करके ग्रामीणों ने इस विशाल टीले को काटा, जो अब समतल मैदान में तब्दील हो रहा है. एक ग्रामीण ने कहा, "हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि यह टीला गायब हो जाएगा. अब यहां एक हरा-भरा खेल का मैदान बनेगा, जहां बच्चे दौड़ेंगे, खेलेंगे और पढ़ाई करेंगे."

मशीनों के जरिए रेत किया जा रहा है समतल
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नई बिल्डिंग और अपग्रेडेशन की उम्मीद
यह विद्यालय वर्तमान में प्राथमिक स्तर तक ही सीमित है, लेकिन ग्रामीण इसे स्वीकृति मिल गई है. टीले को समतल करने के बाद नए स्कूल भवन का निर्माण कराया जाएगा. फिलहाल स्थानीय लोग जिला प्रमुख महेंद्र चौधरी और जिला परिषद का हार्दिक आभार व्यक्त कर रहे हैं.
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