
Barmer News: राजस्थान के बाड़मेर में एक परिवार ने मानव सेवा की अनूठी मिसाल पेश की है. परिवार की 3 पीढ़ियों के 12 सदस्यों ने सामूहिक रूप से देहदान की घोषणा कर जिले में अनूठी मिसाल पेश की है. परिवार के इस कदम की हर कोई सराहना कर रहा है.
एक परिवार के 12 सदस्यों ने की देहदान की घोषणा
जिले की धनाऊ पंचायत समिति की अमी मोहम्मद शाह की बस्ती ग्राम पंचायत के लुभावास गांव निवासी धोखलौनी व कनाणी परिवार ने मानव सेवा के अपने संकल्प को साकार करते हुए शुक्रवार को देहदान की घोषणा की. जिले के कनाणी सेजू परिवार ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी और अस्पताल अधीक्षक डॉ. बीएल मंसूरिया को औपचारिक रूप से देहदान घोषणा के पत्र सौंपे. देहदान की घोषणा करने वालों में 72 वर्षीय बुजुर्ग, उनका 28 वर्षीय पोता सहित परिवार की छह महिलाएं शामिल हैं.
परिवार की तीन पीढ़ियां शामिल
देहदान की घोषणा करने वालों में परिवार की तीन पीढ़ियां दादा, पिता और पौत्र के साथ ही परिवार की महिलाएं पुत्रवधू भी शामिल हैं. इनमें कमला देवी, गुड्डी देवी, वीरो देवी, शांति देवी, रूपो देवी, वीरो देवी, रतनाराम सेजू, व्याख्याता त्रिलोकाराम सेजू, अध्यापक डालूराम सेजू, शंकरलाल सेजू, मनमोहन सेजू, रायमल राम सेजू शामिल हैं। इनमें सबसे बुजुर्ग रतनाराम सेजू और वीरो देवी हैं, जिनकी उम्र 72 साल है, जबकि सबसे कम उम्र की गुड्डी देवी 28 साल की हैं। राजस्थान में यह पहला मौका है, जब एक ही परिवार के इतने सदस्यों ने एक साथ देहदान की पहल की है.
जिले में चारों ओर हो रही है चर्चा
परिवार के इस सराहनीय कदम पर डॉ. बीएल मंसूरिया ने इसे अनूठी मिसाल बताया. साथ ही उन्होंने कहा कि बाड़मेर जिले में अंगदान को लेकर काफी जागरूकता है. प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ है कि एक ही परिवार के कई लोगों ने देहदान का संकल्प लिया है. इससे मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों और डॉक्टरों को मानव शरीर से जुड़े प्रायोगिक परीक्षणों में मदद मिलेगी.उन्होंने दानदाता का आभार जताते हुए कहा कि इससे अन्य लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी.
सामाजिक सुधार में हमेशा से आगे रहता है ये परिवार
देहदान करने की घोषणा करने वाले परिजनों ने बताया कि उनका परिवार हमेशा से ही सामाजिक सुधारों के लिए तत्पर रहा है. कुछ समय पहले ही उन्होंने मृत्युभोज, दहेज प्रथा और नशाखोरी जैसी सामाजिक बुराइयों को रोकने का बीड़ा उठाया था और उनके मन में मानव सेवा के लिए कुछ करने का विचार आया था. इसलिए उन्होंने परिवार से चर्चा करने के बाद अंगदान का निर्णय लिया.
मानव सेवा के लिए करना चाहते थे कुछ बेहतर
परिवार वालों का मानना है कि मरने के बाद इंसान के शरीर का अंतिम संस्कार के अलावा कोई उपयोग नहीं रह जाता. हमारा परिवार काफी समय से सोच रहा था कि हम कुछ ऐसा करें जो मानव सेवा के काम आए. इसके लिए हमने सामूहिक रूप से अपने शरीर को दान करने का संकल्प लिया है और औपचारिक रूप से सरकारी अस्पताल प्रशासन को घोषणा पत्र भी सौंप दिया है. मरने के बाद हमारा शरीर निःसंदेह मानव सेवा के काम आएगा. इससे कई लोगों को जीवन मिलेगा.
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