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This Article is From Oct 18, 2023

कांग्रेस के लिए चुनौती बनेंगी हाड़ौती की ये 7 सीटें, समझें पूरा गणित

एनडीटीवी राजस्थान की टीम ने हाड़ौती की 17 विधानसभा सीटों की पड़ताल किया. फिलहाल, हाडोती में 17 सीटों में से 10 पर बीजेपी का कब्जा है और कांग्रेस पिछले चुनाव में 7 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई थी. इस चुनाव में 17 सीटों में से 7 सीटें कांग्रेस के लिए चुनौती बन सकती हैं. 

कांग्रेस के लिए चुनौती बनेंगी हाड़ौती की ये 7 सीटें, समझें पूरा गणित
प्रतीकात्मक तस्वीर
Jaipur:

राजस्थान में एक-एक दिन गुजरने के साथ ही भाजपा-कांग्रेस समेत सभी पार्टियां चुनावी मैदान पर अपनी रणनीति के दांव चल रही हैं.  इस बीच एनडीटीवी राजस्थान की टीम हाड़ौती की 17 विधानसभा सीटों की पड़ताल किया. फिलहाल, हाडोती में 17 सीटों में से 10 पर बीजेपी का कब्जा है और कांग्रेस पिछले चुनाव में 7 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई थी. इस चुनाव में 17 सीटों में से 7 सीटें कांग्रेस के लिए चुनौती बन सकती हैं. 

हाड़ौती में कांग्रेस के लिए चुनौती बनी सीटों में झालावाड़ की झालरापाटन, खानपुर और मनोहरथाना, बारां की छबड़ा, कोटा जिले की लाडपुरा, रामगंजमंडी और कोटा दक्षिण शामिल है. इसी तरह भाजपा के लिए चुनौती बनी सीटों में बूंदी जिले की हिंडोली, बारां जिले की अंता, बारां अटरू व किशनगंज, कोटा की कोटा उत्तर और सांगोद सीट शामिल है. इसके अलावा शेष चार सीटों पर दोनों पार्टियों का प्रदर्शन ऐवरेज रहा हैं. हालांकि इनमें से तीन पर भाजपा तीन चुनाव जीती व दो हारी है. वहीं, एक सीट पर कांग्रेस तीन चुनाव जीती, जबकि दो में उसे पराजय का मुंह देखना पड़ा है.  

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कोटा की दक्षिण विधानसभा

परिसीमन के बाद बनी कोटा साउथ सीट पर भाजपा का दबदबा रहा है. परिसीमन के बाद यहां कई चुनाव हुए हैं, जिनमें एक उपचुनाव भी शामिल है. चारों बार यहां से भारतीय जनता पार्टी जीती है. भाजपा का गढ़ मानी जाने वाली सीट पर कांग्रेस ने चारों चुनाव में प्रत्याशी बदले हैं. साल 2008 में ओम बिरला ने इस सीट से कांग्रेस के दिग्गज रामकिशन वर्मा और 2013 में पंकज मेहता को हराया था. बिरला के सांसद बनने के बाद साल 2014 में यहां उप चुनाव हुआ, जिसमें संदीप शर्मा ने शिवकांत नंदवाना को हराया है. इसी तरह 2018 के चुनाव में यहां संदीप शर्मा ने राखी गौतम को हराया था.

कोटा की लाडपुरा विधानसभा 

भाजपा के लिए लाडपुरा मजबूत सीट मानी जाती है. यहां पर चुनाव में चार बार भाजपा लगातार जीती है. 1998 का चुनाव कांग्रेस जीती थी. इसमें कांग्रेस की पूनम गोयल ने बीजेपी अर्जुन दास मदान को हराया था. इसके बाद लगातार तीन बार 2003, 2008 व 2013 में भवानी सिंह राजावत विधायक बने. उन्होंने पूनम गोयल व दो बार नईमुद्दीन गुड्डू को हराया है. इसके बाद साल 2018 के चुनाव में बीजेपी ने भवानी सिंह राजावत का टिकट काटते हुए कल्पना देवी को टिकट दिया, उन्होंने नईमुद्दीन गुड्डू की पत्नी गुलनाज गुड्डू को हराकर चुनाव जीता था.

कोटा की रामगंजमंडी विधानसभा 

लाडपुरा की तरह रामगंजमंडी की सीट भी भारतीय जनता पार्टी के लिए मजबूत रही है. यहां भी लगातार बीते चार चुनाव से बीजेपी रही है. 1998 में बीजेपी के हरि कुमार औदिच्य को हराकर रामकिशन वर्मा यहां से विधायक बने. रामकिशन वर्मा राजस्थान में गहलोत के पहले शासन में मंत्री रहे. साल 2003 के चुनाव में प्रहलाद गुंजल यहां से जीते और उन्होंने रामकिशन वर्मा को हराया. साल 2008 में चंद्रकांता मेघवाल ने पूर्व मंत्री रामगोपाल बैरवा और 2013 में बाबूलाल मेघवाल को चुनाव हरा यहां से विधायक बनी. इसके साथ ही 2018 में बीजेपी ने चंद्रकांता मेघवाल को यहां से टिकट न देकर मदन दिलावर को चुनाव लड़ाया, वे पूर्व मंत्री रामगोपाल बैरवा को हराकर विधायक बने.

भारतीय जनता पार्टी का गढ़ छाबड़ा सीट

छाबड़ा सीट भारतीय जनता पार्टी का गढ़ है. यहां से बीते पांच चुनाव में चार बार भाजपा जीती है. चार बार ही भाजपा से यहां पर पूर्व मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी विधायक बने हैं, हालांकि 2008 में उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी करण सिंह से हार का मुंह देखना पड़ा था. भाजपा प्रत्याशी प्रताप सिंह सिंघवी ने 1998 में कांग्रेस के अबरार अहमद, 2003 में कांग्रेस के मानसिंह, 2013 में नेशनल पीपल' एस पार्टी के मानसिंह धनोरिया वह कांग्रेस के प्रकाशचंद और 2018 में कांग्रेस के करण सिंह को चुनाव हराया है. हालांकि, बीते 9 चुनाव इस सीट से महज एक बार कांग्रेस जीती है.

झालरापाटन से लगातार चुनाव जीतती रही हैं राजे

हाड़ौती में भाजपा की सबसे मजबूत सीट झालरापाटन मानी जाती है. इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे लगातार चुनाव जीतती रही हैं. साल 1998 में यहां से कांग्रेस के मोहनलाल ने बीजेपी के अनंत कुमार को चुनाव हराया था. इसके बाद 2003 में वसुंधरा राजे ने रमा पायलट, 2008 में मोहनलाल, 2013 में मीनाक्षी चन्द्रावत व 2018 में मानवेंद्र सिंह को चुनाव हराया है.

बीजेपी की मजबूत सीटों में खानपुर है शामिल

बीजेपी की मजबूत सीटों में खानपुर शामिल है. यहां से पांच में से चार चुनाव में बीजेपी को जीत हासिल हुई है, जबकि 1998 में कांग्रेस को यहां से जीत मिली थी. इस दौरान कांग्रेस प्रत्याशी मीनाक्षी चंद्रावत ने भाजपा प्रत्याशी औंकार लाल नागर को हराया था. इसके बाद हुए चार चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस को हराया है. 2003 में नरेंद्र नागर ने मीनाक्षी चंद्रावत, 2008 में अनिल कुमार जैन ने मीनाक्षी चंद्रावत, 2013 में नरेंद्र नागर ने संजय गुर्जर और 2018 में नरेंद्र नागर ने सुरेश गुर्जर को चुनाव हराया है.

1998 के बाद मनोहरथाना सीट पर 1 बार जीती कांग्रेस

मनोहरथाना की सीट भी कांग्रेस के लिए चुनौती भरी है. यहां से 1998 के बाद में एक बार कांग्रेस जीत पाई है. साल 2008 में यहां कांग्रेस को जीत मिली, जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी कैलाशचंद मीणा ने श्याम सुंदर को चुनाव हराया था. वहीं, 1998 में भाजपा के जगन्नाथ ने कांग्रेस के भेरूलाल, 2003 में कैलाश चंद मीणा को चुनाव हराया है. 2013 में बीजेपी के कवर लाल ने कांग्रेस के कैलाश मीणा को मात दी. इसी तरह से 2018 में बीजेपी के गोविंद प्रसाद रानीपुरिया ने कांग्रेस के कैलाश मीणा को हराया था.

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