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5 साल बाद भारतमाला सड़क परियोजना को मिली हरी झंडी, 390 के बजाय अब 872 करोड़ में बनेगी 137 KM लंबी सड़क

पूर्व में यह 137 किलोमीटर लंबी सड़क 390 करोड़ से बनने वाली थी, लेकिन डीएनपी से एनओसी नहीं मिलने से इसका डब्ल्यूआईआई देहरादून की टीम से सर्वे करवाया गया. टीम ने सर्दी, गर्मी व बरसात के मौसम में इस सड़क का सर्वे कर रिपोर्ट एनएचएआई को सौंप दी है. जिसके बाद 16 शर्तों के साथ प्रोजेकट को मंजूरी मिल गई.

5 साल बाद भारतमाला सड़क परियोजना को मिली हरी झंडी, 390 के बजाय अब 872 करोड़ में बनेगी 137 KM लंबी सड़क

Rajasthan News: डेजर्ट नेशनल पार्क (DNP) के नियमों के जाल में फंसी लगभग 137 किमी लंबी भारतमाला सड़क परियोजना (Bharatmala Pariyojna) के तहत सड़क निर्माण की अनुमति अब 5 साल बाद जाकर मिली है. पिछले दिनों पर्यावरण वन और जलवायु मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupender Yadav) की अध्यक्षता में हुई राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थाई समिति की बैठक (NBWL Meeting) में सड़क निर्माण की राह देख रहे डीएनपी वासियों को 16 शर्तों पर सड़क निर्माण की मंजूरी दे दी है.

अब निर्माण में 482 करोड़ रुपये ज्यादा खर्च होंगे

पूर्व में यह 137 किलोमीटर लंबी सड़क 390 करोड़ से बनने वाली थी, लेकिन डीएनपी से एनओसी नहीं मिलने से इसका डब्ल्यूआईआई देहरादून की टीम से सर्वे करवाया गया. टीम ने सर्दी, गर्मी व बरसात के मौसम में इस सड़क का सर्वे कर रिपोर्ट एनएचएआई को सौंप दी है. रिपोर्ट में इस सड़क मार्ग पर वन्यजीवों की सहूलियत के लिए पूरी फेंसिंग, अंडरपास व फ्लाइओवर की मांग की है. इन सभी की संख्या भी बेहद ज्यादा है. ऐसे में इस सड़क निर्माण की कॉस्टिंग में 482 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हो गई है. इस सड़क निर्माण का खर्च 390 करोड़ से बढ़कर 872 करोड़ तक कर दिया गया है.

वर्ष 2018 से अटका हुआ है भारतामाला प्रोजेक्ट

राष्ट्रीय मरू उद्यान संघर्ष एवं विकास समिति के अध्यक्ष जुगतसिंह सोढ़ा ने बताया कि डेजर्ट  नेशनल पार्क के सख्त नियमों की वजह से जैसलमेर से सुंदरा तक 137 किमी भारतमाला प्रोजेक्ट का काम 2018 से रुका हुआ है. समिति द्वारा लगातार प्रयास जारी थे, जो अब रंग लाए है. पहले अनुमति नहीं मिलने पर डब्ल्यूआईआई से सर्वे करवाया था. सर्वें के बाद इस प्रोजेक्ट में राशि की बढ़ोतरी हो गई है. हमने जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों से मिलकर आमजन की इस समस्या से अवगत करवाया था. इस सड़क के निर्माण से इस क्षेत्र में रहने वाले वाशिंदो को राहत मिलेगी.

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गांवों में विकास के रास्ते खुल गए

स्थानीय निवासी लालू सिंह सोढा ने बताया कि डीएनपी क्षेत्र में रहने वाले लोगों को आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण भारतमाला सड़क का अटका काम था. केंद्र सरकार के अटके सड़क निर्माण प्रोजेक्ट को परमिशन मिलने में 5 साल का समय लग गया है. अब परमिशन मिलने से इन गांवों में विकास के रास्ते खुल गए हैं. आगामी समय में केंद्र व राज्य सरकार द्वारा यहां के निवासियों की परेशानी का समझते हुए सुविधाओं के लिए भी छूट देगी तो यंहा भी समान्तर विकास होगा.

पहले थी सिर्फ 3 मीटर की सड़क

विधायक छोटू सिंह भाटी ने जैसलमेर-म्याजलार सड़क को मिली स्वीकृति के बाद प्रेस वार्ता में बताया कि 1981 से जैसलमेर एवं बाड़मेर का 7 प्रतिशत हिस्सा डीएनपी प्रभावित रहा, जहां आम जन को मूलभूत सुविधाओं के लिए बहुत झुंझना पड़ा. उन्हें बिजली, पानी, खेती की केसीसी जैसी सभी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ा. जैसलमेर से म्याजलार की सड़क 3 मीटर की ही थी, जिससे क्षेत्रवासियों को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता था. विधायक भाटी ने अपने पूर्व कार्यकाल में भी डीएनपी क्षेत्र एवं इस सड़क के लिए कई प्रयास किये थे. 

15 अक्टूबर को हुई मीटिंग में फैसला

भाटी ने बताया कि मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, पूर्व मंत्री कैलाश चौधरी, पूर्व विधायक सांग सिंह, सीमा जागरण मंच के नीम्बसिंह, सीमा समिति के प्रतिनिधि मंडल के साथ वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव, सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडगरी के साथ बैठककर यह सड़क स्वीकृति हेतु मांग रखी थी. केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार की अध्यक्षता में दिनांक 15 अक्टूबर 2024 को आयोजित राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति की बैठक में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया. विधानसभा क्षेत्र जैसलमेर की अत्यंत महत्वपूर्ण सड़क परियोजना, जैसलमेर से म्याजलार मार्ग को स्वीकृति प्रदान की गई है. साथ ही डीएनपी (राष्ट्रीय मरु उद्यान) क्षेत्र में अब मोबाइल टावर लगाने की भी अनुमति प्रदान की गई है. यह 137 किलोमीटर लंबी सड़क राष्ट्रीय मरु उद्यान के समस्त मापदंडों का पालन करते हुए, वन्यजीवों को किसी प्रकार की क्षति पहुंचाए बिना, क्षेत्र के समग्र विकास, स्थानीय निवासियों कीआवश्यकताओं एवं पर्यटन की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए निर्मित की जाएगी.

वन जीवन बोर्ड की समिति की 16 शर्ते:-
  1. डब्ल्यूआईआई द्वारा तैयार मार्ग योजना का क्रियान्वयन एजेंसी द्वारा किया जाएगा. योजना में प्रस्तावित 250 मीटर और 150 मीटर के विस्तार वाले अंडरपास का निर्माण किया जाएगा.
  2. डीएनपी में आने वाली आनुपातिक परियोजना लागत का 2 प्रतिशत गांवों के पुनर्वास/भूमि अधिग्रहण के लिए जमा किया जाएगा.
  3. सड़क निर्माण के दौरान सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद कोई भी काम नहीं किया जाएगा.
  4. डीएनपी क्षेत्र में सड़क निर्माण के दौरान किसी भी प्रकार की कोई सामग्री नहीं निकाली जाएगी.
  5. डीएनपी क्षेत्र के अंदर पेड़ों की कटाई और ईंधन की लकड़ी जलाना प्रतिबंधित है.
  6. सड़क निर्माण के दौरान उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थ का निपटारा डीएनपी एरिया से बाहर किया.
  7. डीएनपी एरिया की सीमा से 1 किलोमीटर के अंदर कोई श्रमिक शिविर नहीं होगा.
  8. सड़क निर्माण के दौरान डीएनपी क्षेत्र की सीमा से 1 किमी के अंदर कोई विस्फोट नहीं किया जाएगा.
  9. डीएनपी एरिया की सीमा से 1 किमी के अंदर कोई हाई मास्ट और तेज आवाज नहीं होनी चाहिए.
  10. जंगली जानवरों के बारे में जानकारी के लिए साइनेज में यातायात की मात्रा व गतिपर नियंत्रण रखा जाएगा.
  11. एनएचएआई व डीएनपी के कर्मचारी वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधानों की पालना करेंगे.
  12. अभयारण्य क्षेत्र में प्रत्येक 500 मीटर पर एक साइन बोर्ड लगाया जाएगा.
  13. डीएनपी क्षेत्र में प्रत्येक 300 मीटर की दूरी पर स्पीड ब्रेकर बनाए जाएंगे.
  14. सड़क के दोनों ओर पौधरोपण किया जाएगा.
  15. एनएचएआई सड़क निर्माण के लिए डीएनपी क्षेत्र में गड्ढे नहीं बनाएगी.
  16. सड़क निर्माण पूरा होने के बाद बचे हुए पूरे मलबे को साफ करना होगा.

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