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This Article is From Oct 11, 2024

Rajasthan: खेजड़ी को बचाने के लिए 10 दिनों से आमरण अनशन पर बैठीं अलका बिश्नोई, बीकानेर में काटे जा रहे लाखों पेड़

Rajasthan News:बीकानेर में 39 दिनों से दो जगहों पर करीब 150 लोग धरने पर बैठे हैं. वे सरकार से खेजड़ी को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं.

Rajasthan: खेजड़ी को बचाने के लिए 10 दिनों से आमरण अनशन पर बैठीं अलका बिश्नोई, बीकानेर में काटे जा रहे लाखों पेड़
खेजड़ी का पेड़

Bikaner News: राजस्थान में इन दिनों खेजड़ी को बचाने के लिए सबसे बड़ा आंदोलन चल रहा है. गांवों से शुरू हुए इस आंदोलन की आग अब बीकानेर तक पहुंच गई है. इसके तहत पिछले 39 दिनों से दो जगहों पर करीब 150 लोग धरने पर बैठे हैं. वे सरकार से खेजड़ी को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं.

बीकानेर में 39 दिनों से जारी है धरना

39 दिनों से धरने पर बैठे बीकानेर और छतरगढ़ के लोगों का कहना है कि जब तक सरकार खेजड़ी के पेड़ों की सुरक्षा के लिए कदम नहीं उठाती और इन पेड़ों को बचाने का वादा नहीं करती, तब तक वे अपना धरना जारी रखेंगे. इसके साथ ही धरने पर बैठे लोगों का आरोप है कि सोलर प्लांट लगाने के नाम पर हजारों खेजड़ी के पेड़ काटे जा रहे हैं. खेजड़ी के पेड़ों के अस्तित्व को बचाने के लिए अलका देवी बिश्नोई पिछले 39 दिनों से आमरण अनशन पर बैठी हैं.

सुरक्षा के लिए क़ानून बनाने की मांग

आमरण अनशन पर बैठी अलका देवी बिश्नोई का कहना है कि जब तक खेजड़ी की सुरक्षा के लिए क़ानून नहीं बन जाता, तब तक वे अपना अनशन नहीं तोड़ेंगी. उनके साथ बीकानेर और छत्तरगढ़ से तक़रीबन 150 लोग धरने पर बैठे हुए हैं. इससे पहले इस मामले में सीएम को अब तक 94 ज्ञापन भेजे जा चुके हैं. लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है. और यदि आगे भी जवाब नहीं मिलेगा तब तक धरना भी जारी रहेगा. 

100 रुपए देकर छूट जाता है आरोपी

जीव रक्षा संस्था के अध्यक्ष मोखराम धारणिया कहते हैं कि पर्यावरण की रक्षा के लिए खेजड़ी समेत पेड़-पौधों और जंगली पशु-पक्षियों को बचाना जरूरी है। इसके लिए हम आंदोलन कर रहे हैं। सरकार से कानून में संशोधन करने की मांग की जा रही है. अभी आरोपी सिर्फ 100 रुपए देकर छूट जाता है.हमारी मांग है कि इस अपराध के लिए 20 साल की सजा और लाखों रुपए जुर्माने का प्रावधान हो.

क्या है खेजड़ी

राजस्थान में खेजड़ी को कल्पवृक्ष माना जाता है. इस पेड़ को भगवान का रूप मानकर पूजा करने की परंपरा है. इसे पश्चिमी राजस्थान की जीवन रेखा कहा जाता है. क्योंकि खेजड़ी ने इस इलाके के पर्यावरण को बचाने में अपना योगदान दिया है. पर्यावरण में अपनी भूमिका निभाने के साथ-साथ यह इस इलाके में सांगरी जैसी सब्जियों के रूप में पशुओं के चारे का भी बड़ा स्रोत है. लेकिन पिछले कुछ सालों में बीकानेर में लगाए जा रहे अनियंत्रित सोलर प्लांट की वजह से लाखों की संख्या में इन पेड़ों को काटा जा चुका है, जिसका असर यहां के पर्यावरण पर भी देखने को मिल रहा है. इसके विरोध में खेजड़ी बचाओ और पर्यावरण बचाओ संघर्ष समिति ने 16 अगस्त से आंदोलन शुरू किया है, लेकिन बीकानेर में इसकी शुरुआत 39 दिन पहले हो चुकी है.

 363 लोगों ने दी प्राणों की आहुति 

खेजड़ी को बचाने का यह आंदोलन 294 साल बाद सबसे बड़े आंदोलनों में से एक बन गया है. इससे पहले 12 सितंबर 1730 को खेजड़ली गांव में 363 लोगों ने खेजड़ी के पेड़ों को बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी. इन शहीदों में 69 महिलाएं और 294 पुरुष थे. तब से खेजड़ली गांव में खेजड़ी के पेड़ काटने और किसी भी तरह के शिकार पर प्रतिबंध है. खेजड़ली में दुनिया का एकमात्र वृक्ष मेला लगता है. खेजड़ी के पेड़ों की अधिक संख्या के कारण ही इस गांव का नाम खेजड़ली पड़ा.

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