
Bikaner News: राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं की झलक दिखाने वाला गणगौर उत्सव बीकानेर के ब्राह्मण स्वर्णकार समाज में धूमधाम से मनाया जा रहा है. 300 साल से भी ज्यादा पुराने इस त्योहार की तैयारियां जोरों पर हैं.
होलिका दहन के बाद शुरू होता है गणगौर
ब्राह्मण स्वर्णकार समुदाय का गणगौर उत्सव होलिका दहन के बाद शुरू होता है, जब समुदाय के लोग मिलकर रिख्या से पिंडोली तैयार करते है. यह परंपरा इस समुदाय में पीढ़ियों से चली आ रही है और समुदाय के हर घर में गणगौर माता की पिंडोली स्थापित की जाती है. जिस घर में गवर माता की स्थापना होती है, वहां महिलाएं और लड़कियां सुबह-शाम भक्ति भाव से आरती उतारती हैं. रंगोली सजाकर अपनी भावनाएं प्रकट करती हैं, जिससे पूरा माहौल भक्ति और उल्लास से भर जाता है.समुदाय की भाषा में इन्हें तीजणियां कहा जाता है.
पूरे समुदाय में मेंहदी बांटता है लाभार्थी परिवार
चैत्र माह की तीज पर लाभार्थी परिवार पूरे समुदाय में मेंहदी बांटता है और उन्हें बड़े हर्षोल्लास के साथ उत्सव में भाग लेने के लिए आमंत्रित करता है. तीज के दिन समुदाय की सभी महिलाएं एक साथ गणगौर माता की मूर्ति को टिकला रोटी चढ़ाने जाती हैं. यह अनूठी परंपरा आस्था और समर्पण का प्रतीक है.
गवर माता की सवारी सिर पर उठाकर घुमाती हैं महिलाएं
चौथ के दिन समाज की महिलाएं गवर माता की सवारी को सिर पर उठाकर पूरे समाज में घुमाती हैं. हर घर में माता का खोल भरने की रस्म होती है, जिसके माध्यम से समाज की खुशहाली व समृद्धि की कामना की जाती .
राजस्थान का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है गणगौर
गणगौर हिंदू कैलेंडर के पहले महीने चैत्र (मार्च-अप्रैल) के महीने में मनाया जाता है. गणगौर राजस्थान के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. इसे पूरे राजस्थान में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है. "गण" भगवान शिव का पर्याय है और "गौरी" या "गौरा" भगवान शिव की स्वर्गीय पत्नी देवी पार्वती का प्रतीक है.
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