
Ashok Gehlot: पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर आरोप लगाया है कि वह राज्य में पंचायती राज एवं नगरीय निकायों के पुनर्गठन का काम मनमाने तरीके से कर रही है. गहलोत ने 'एक्स' पर लिखा, ‘‘राजस्थान की भाजपा सरकार मनमाने तरीके से पंचायती राज एवं नगरीय निकायों का पुनर्गठन कर रही है. मैं ऐसा पहली बार देख रहा हूं कि सारे नियम-कानून तोड़े जा रहे हैं.''
गहलोत के अनुसार, ‘‘जिलाधिकारियों ने जनता की आपत्तियां दर्ज करके आगे की कार्रवाई करने की बजाय हाथ खड़े कर दिए हैं और जिलाधिकारी कह रहे हैं कि हम कुछ नहीं कर पाएंगे, सारा काम राज्य सरकार के स्तर से हो रहा है.''
गौरतलब है कि राजस्थान ने नगर निकायों और पंचायत चुनाव होने में देरी हो रही है. इसका मामला राजस्थान हाई कोर्ट में चल रहा है. सरकार ने उससे पहले निकायों में परिसीमन किये हैं. जिसका कई जगह विरोध भी देखने को मिला है.
''कार्यकाल पूरा होने के बाद भी चुनाव नहीं करवाए''
पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा, ‘‘भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मिलकर येन-केन प्रकारेण पंचायती राज और नगर निकाय के चुनावों में जीत चाहते हैं. इसके लिए भरतपुर के जिला प्रमुख पद समेत कई जगह उपचुनाव तक नहीं करवाए गए. फिर ‘एक देश-एक चुनाव‘ के नाम पर कार्यकाल पूरा होने के बाद भी चुनाव नहीं करवाए और अब ये वोट बैंक को साधकर जीतने के लिए नियमों एवं जनता की सहूलियत को भी अनदेखा कर रहे हैं.''
राजस्थान की भाजपा सरकार मनमाने तरीके से पंचायतीराज एवं नगरीय निकायों के पुनर्गठन कर रही है। मैं ऐसा पहली बार देख रहा हूं कि सारे नियम-कानून तोड़े जा रहे हैं। जिला कलेक्टरों ने जनता की आपत्तियां दर्ज कर आगे कार्रवाई करने की बजाय हाथ खड़े कर दिए हैं और कलेक्टर कह रहे हैं कि हम कुछ…
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) April 30, 2025
''शहर से 10-10 KM दूर के गांवों को निकायों में मिलाया जा रहा ''
उन्होंने कहा कि न तो न्यूनतम एवं अधिकतम जनसंख्या के पैमाने को माना जा रहा है और न ही मुख्यालय से उचित दूरी का ध्यान रखा जा रहा है. कहीं शहर से 10-10 किलोमीटर दूर के गांवों को नगरीय निकायों में मिलाया जा रहा है तो कहीं गांवों को इस तरह पंचायतों से जोड़ा जा रहा है कि पंचायत मुख्यालय पांच से 10 किलोमीटर तक दूर हो गया है.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं राज्य सरकार से कहना चाहता हूं कि इस तरह की गतिविधियां उचित नहीं है. जनता में इसको लेकर आक्रोश पनप रहा है. जिलाधिकारियों को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राजनीतिक दबाव में न आकर नियमानुसार सुसंगत तरीके से पूरी पुनर्गठन प्रक्रिया को अंजाम दें.''
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