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बीजेपी नेता ने सरकारी जमीन पर बनाया था शोरूम, अब चला बुलडोजर

बारां तहसीलदार का कहना है कि बारां शहर में अंबेडकर सर्किल के नजदीक बाणगंगा नदी के किनारे अतिक्रमण किया गया था. नदी-नाला होने से जमीन सरकारी और जल संसाधन विभाग के रिकॉर्ड में है.

बीजेपी नेता ने सरकारी जमीन पर बनाया था शोरूम, अब चला बुलडोजर
बीजेपी नेता के शोरूम पर चला बुलडोजर.

बारां में भाजपा नेता पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष आनन्द गर्ग के निर्माण पर 'पीला पंजा' चलने का मामला सामने आया है, जहां उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अतिक्रमण हटाने के मामले ने तूल पकड़ा है. भाजपा नेता पर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर शोरूम बनाने के आरोप लगे हैं. काफी बड़ा शोरूम था, जिन पर नगर परिषद से पट्टा भी मिल गया था, लेकिन हाईकोर्ट में दायर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन के बाद इस मसले में प्रशासनिक अधिकारियों ने त्वरित कार्रवाई की है.

SDM को भी पार्टी बना दिया था

हाईकोर्ट ने इस संबंध में अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए है. जिस पर यह कार्रवाई हुई है. इस मामले में हाईकोर्ट ने एसडीएम को भी पार्टी बना दिया था. इसके बाद यह कार्रवाई की गई. बारां नगर परिषद आयुक्त मोती शंकर नागर का कहना है कि यह कार्रवाई राजस्व विभाग के निर्देश पर हुई थी. उन्होंने तहसीलदार दशरथ मीणा से संसाधनों की मांग की थी. इसके बाद संसाधन उपलब्ध करवाए गए. जब हमारी टीम संसाधन लेकर पहुंची, तब उन्होंने स्वयं अतिक्रमण करने वाले नेता ने ही हमें कह दिया कि हम इसे अपने हिसाब से तुड़वा लेंगे.

कैसे जारी हुआ पट्टा 

हमारी मशीनरी से ही उन्होंने निर्माण को 20 मीटर तक इसे हटवा लिया है. जमीन की कानूनन स्थिति के संबंध में ज्यादा जानकारी राजस्व विभाग के अधिकारी ही दे सकते हैं. यह पट्टा कैसे जारी हुआ, यह जांच का विषय है. मैं स्वयं बारां में 19 सितम्बर को होने वाले सीएम के आगामी दौरे की तैयारी में जुटा हुआ हूं. यह कार्रवाई राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के बारां दौरे के पहले की गई है, जो पूरे बारां में चर्चा का विषय बन गया है.

अंता सीट पर उपचुनाव होने हैं 

साथ ही बारां जिले में अंता विधानसभा सीट में उपचुनाव होने हैं, जहां से भाजपा नेता आनंद गर्ग भी दावेदारी जता रहे हैं. पूरे मामले में भाजपा नेता आनंद गर्ग का कहना है कि उन्होंने इस जमीन का पट्टा लिया हुआ था. उनकी पत्नी मंजू गर्ग के नाम यह था, लेकिन हमारे विरोधी राजेंद्र शर्मा ने बाढ़ का हवाला देते हुए इसे अतिक्रमण बताया व पीआईएल दायर कर दी थी. जिस पर कोर्ट ने हटाने के निर्देश दिए थे.

जब तक हम इस मसले को लेकर कोर्ट जाते, तब स्ट्राइक हो गई थी. ऐसे में तय समय मे हम अपील नहीं कर पाए. निर्देश काफी स्ट्रिक्ट आए थे. इसलिए प्रशासन भी मजबूर हो गया था. हमने भी उनका सहयोग किया व हमने स्वयं ही इस निर्माण को हटवाया है.

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