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बूंदी महोत्सव का दूसरा दिन, हाड़ौती के मशहूर व्यंजन कत्त बाफले से किया पर्यटकों का सत्कार

राजस्थान के बूंदी महोत्सव में दूसरे दिन प्राकृतिक सुंदरता के बीच मेहमानों का दिल जीत लिया गया. साथ ही देशी और विदेशी पर्यटकों को हाड़ौती क्षेत्र के मशहूर व्यंजन कत्त बाफले से विशेष सत्कार किया गया.

बूंदी महोत्सव का दूसरा दिन, हाड़ौती के मशहूर व्यंजन कत्त बाफले से किया पर्यटकों का सत्कार
बूंदी महोत्सव में में विदेशी पर्यटकों का खास सत्कार.

Rajasthan News:  राजस्थान के बूंदी में चल रहे महोत्सव के दूसरे दिन सुखमहल की खूबसूरत प्राकृतिक सुंदरता के बीच मेहमानों का दिल जीत लिया गया. देशी और विदेशी पर्यटकों को हाड़ौती क्षेत्र के मशहूर व्यंजन कत्त बाफले से विशेष सत्कार किया गया.

मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवि वर्मा और नगर परिषद सभापति सरोज अग्रवाल समेत जिला प्रशासन के अधिकारियों और प्रमुख नागरिकों ने खुद मेहमानों की आवभगत की. पर्यटकों को साफा बांधा गया तिलक लगाया गया रोली-अक्षत का टीका किया गया और रक्षा सूत्र पहनाया गया. रानी रोहिणी संस्था की रोहिणी हाड़ा और उनके साथियों ने विदेशी सैलानियों का गर्मजोशी से स्वागत किया.

उन्हें रोली का टीका लगाकर मुंह मीठा करवाया गया. विदेशी महिलाओं को चूड़ियां पहनाई गईं और हाथों पर मेंहदी रचाई गई जिससे वे बेहद खुश हो गईं. इस प्यार भरे स्वागत से सभी मेहमान भावुक हो उठे और आयोजन की तारीफ करते नहीं थके. लोक कलाकारों ने कच्छी घोड़ी नृत्य और अन्य गीत-नृत्यों से माहौल को और रंगीन बना दिया. विदेशी पर्यटक भी कलाकारों के साथ झूमते नजर आए.

हैरीटेज वॉक से बूंदी की विरासत का दीदार

महोत्सव में विदेशी मेहमानों को हैरीटेज वॉक के जरिए बूंदी की समृद्ध संस्कृति और इतिहास से परिचित कराया गया. जैतसागर झील के किनारे सुख महल पर आयोजित मान-मनुहार कार्यक्रम में सैलानी बड़ी संख्या में पहुंचे और देशी पकवानों का मजा लिया.

प्रशासन ने पर्यटकों को ये व्यंजन कैसे बनते हैं यह भी दिखाया जिससे वे काफी उत्साहित हुए. तेज मसालेदार खाने की आदत न होने के बावजूद विदेशी मेहमानों ने बड़े चाव से इन्हें चखा और "वेरी गुड" "वंडरफुल" "सो नाइस" "लवली" जैसे शब्दों से सराहना की.

देसी खाने के मुरीद बने विदेशी सैलानी

बूंदी महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ देसी खान-पान ने भी कमाल कर दिया. इजराइल फ्रांस और इंग्लैंड से आए पर्यटकों ने यहां के पारंपरिक भोजन को खूब सराहा. उन्होंने कत्त बाफले और राजस्थानी दाल की जमकर तारीफ की. इनमें देसी मसालों की खुशबू और स्वाद को उन्होंने लाजवाब बताया.

पर्यटकों ने कहा कि बूंदी का सादा मगर मसालेदार खाना बहुत पसंद आया. फ्रांस की पर्यटक सोफिया बोलीं "कत्त बाफले का स्वाद मैंने पहले कभी नहीं चखा यह वाकई शानदार है." इंग्लैंड के जॉन ने कहा "बूंदी की दाल और रोटी में जो देसीपन है वह कहीं और नहीं मिलता." उन्होंने बूंदी को न सिर्फ ऐतिहासिक धरोहर और झीलों के लिए बल्कि देसी स्वाद और मेहमाननवाजी के लिए भी यादगार बताया.

कैनवास पर उकेरी गई बूंदी की धरोहर

इस दौरान कैनवास पेंटिंग वर्कशॉप का भी आयोजन हुआ जहां बूंदी जिले की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक छवियों को चित्रित किया गया. बूंदी ब्रश के अध्यक्ष सुनील जांगिड़ पंकज सिसोदिया वाइल्डलाइफ से पप्पू लाल कुमावत विजय सिंह विवेक समेत अन्य चित्रकारों ने अपनी कला दिखाई. इंटेक संस्थान के संयोजक राजकुमार दाधीच और दिनेश विजयवर्गीय भी मौजूद रहे.

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