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पहली बार Cannes Film Festival में राजस्थान छोड़ेगा अपनी छाप, राजस्थानी फिल्म 'ओमलो' का होगा प्रीमियर

Rajasthani Film at cannes : फ्रांस के शहर कान्स में 13 मई से होने जा रहा कान्स फिल्म फेस्टिवल राजस्थान के लिए बेहद यादगार होने जा रहा है, क्योंकि पहली बार यहां कोई राजस्थानी फिल्म पेश होने जा रही है.

पहली बार  Cannes Film Festival में राजस्थान छोड़ेगा अपनी छाप, राजस्थानी फिल्म 'ओमलो' का होगा प्रीमियर
First time Rajasthani Film at cannes Film Festival

cannes film festival: कान्स फिल्म फेस्टिवल का आयोजन आज ( 13 मई ) से शुरू होने वाला है. जो 24 मई तक आयोजित फ्रांस के कांन्स शहर में किया जाएगा. यह सिनेमा की दुनिया के सबसे बड़े आयोजनों में से एक है. जहां देश-विदेश की क्षेत्रीय और विदेशी भाषा की फिल्में दिखाई जाती है. कान्स में आज (13 मई) का दिन भारत और राजस्थान के लिए सबसे अहम होने वाला है. क्योंकि मंगलवार यानी प्रीमियर के पहले दिन कान्स में राजस्थानी आर्ट फिल्म 'ओमलो' का प्रीमियर होगा.

राजस्थान के लिए है पहली बार गर्व का मौका

कांस इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में 'ओमलो' के  साथ ही दुनियाभर के कई देशों के फिल्मों को दिखाने की तैयारी है. लेकिन यह राजस्थान के लिए पहली बार गर्व का मौका है जब इंटरनेशनल ऑडियंस के क्षेत्रीय भाषा की फिल्म को देखेगी. इस फेस्टिवल में बॉलीवुड के जाने माने कलाकार भी शिरकत करेंगे.

राजस्थान के ग्रामीण जीवन और परंपराओं को है दर्शाती

'ओमलो' मुंबई के रणधीर चौधरी द्वारा निर्देशित एक आर्ट फिल्म है. इसकी शूटिंग बीकानेर के श्रीडूंगरगढ़ में की गई है. इसकी कहानी बेहद मार्मिक है, जिसमें राजस्थान के ग्रामीण जीवन और उसकी परंपराओं को दर्शाया गया है. फिल्म में स्थानीय कलाकारों ने भी काम किया है. यह उनकी पहली अंतरराष्ट्रीय प्रस्तुति होगी. फिल्म के निर्देशक ने कहा कि ''ओमलो' महज एक कहानी नहीं है, बल्कि यह राजस्थान की आत्मा है, जिसे उन्होंने बड़े पर्दे पर उतारने की कोशिश की है. माना जा रहा है कि कान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में पहुंचने से राजस्थानी सिनेमा नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा. राज्य की समृद्ध संस्कृति को दुनियाभर में पहचान मिलेगी.

सात साल के बच्चे ओमलो की कहानी 

इस फिल्म की कहानी 7 साल के बच्चे ओमलो और एक ऊंट के बीच के अनोखे और मार्मिक रिश्ते के इर्द-गिर्द घूमती है. फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे परिवार का हर पुरुष पीढ़ी दर पीढ़ी अपने लोगों पर बंधन, उत्पीड़न और डर का माहौल बनाए रखता है. ओमलो अपने पिता द्वारा बचपन में अनुभव किए गए डर और अशांत भावनाओं को दर्शाता है, जिसका वह सामना करना जारी रखता है. उसकी मां चाहती है कि वह अपने दादा और पिता की तरह न बने. उसे इस चक्र को तोड़ना चाहिए और एक बेहतर इंसान बनना चाहिए.दूसरी ओर, ओमलो अपनी सारी भावनाएँ अपने ऊंट के साथ साझा करता है, जो बचपन से उसके साथ है.

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