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This Article is From May 08, 2024

Rajasthan Scam: 900 करोड़ के जल जीवन मिशन घोटाले में ED-ACB के बाद अब CBI की एंट्री, दर्ज हुई FIR

Rajasthan Jal Jeevan Mission Scam: सीबीआई ने पिछले साल अगस्त में शुरू हुई आठ महीने लंबी प्रारंभिक जांच के बाद यह कार्रवाई की है.

Rajasthan Scam: 900 करोड़ के जल जीवन मिशन घोटाले में ED-ACB के बाद अब CBI की एंट्री, दर्ज हुई FIR
प्रतीकात्मक तस्वीर.

Rajasthan News: जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) में करोड़ों के फर्जीवाड़े (Scam) में अब राजस्थान सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. सीबीआई ने जलदाय विभाग के एक्स ईएन विशाल सक्सेना, श्याम ट्यूबेल कम्पनी के प्रोप्राइटर पद्म चंद जैन, गणपति ट्यूबेल कंपनी शाहपुरा के प्रोप्राइटर महेश मित्तल के अलावा अज्ञात सरकारी और गैर सरकारी लोगों को भी शामिल माना है. ये सभी पूर्व जलदाय मंत्री महेश जोशी (Mahesh Joshi) के नजदीकी बताए जाते हैं.

दिसंबर में 9 जगह पर की थी रेड

राजस्थान की भजनलाल सरकार ने 18 मार्च को इस घोटाले की जांच सीबीआई से करवाने की सिफारिश की थी. इसके बाद 3 मई को सीबीआई ने षडयंत्र और धोखाधड़ी का केस दर्ज करके इस मामले की छानबीन शुरू कर दी. यह पूरा मामला फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र पर पर टेंडर लेने से जुड़ा हुआ है. इस मामले में ईडी ने 2023 सितंबर में जयपुर और अलवर में 9 जगह छापे मारे थे, जिसमें महेश मित्तल, प्रॉपर्टी कारोबारी संजय बढ़ाया, कल्याण सिंह कविया, विशाल सक्सेना, माया लाल सैनी, पद्म चंद जैन, तहसीलदार सुरेश शर्मा और अमिताभ कौशिक के यहां सर्च में 2.50 लाख नगद, एक किलो सोने की ईंट और करोड़ों की प्रॉपर्टी के कागजात और कुछ अधिकारियों के रिश्तेदारों के नाम से लेन देन के कागजात मिले थे. 

फेक एक्सपीरियंस लेटर से लिए टेंडर

इससे पहले एंटी करप्शन ब्यूरो ने एक्स ईएन माया लाल सैनी और जयंत प्रदीप कुमार को पद्म चंद जैन से 2 लाख 20 हजार की रिश्वत लेते हुए ट्रैप किया था. जांच में आया था कि जल जीवन मिशन में ज्यादा काम लेने व घटिया मटेरियल लगाकर अधिक कमाई के लिए श्री गणपति ट्यूबेल कंपनी और श्री श्याम ट्रेवल कंपनी ने इस्कॉन के फर्जी एक्सपीरियंस प्रमाण पत्र लगाकर 900 करोड़ रुपये काम हासिल किए थे. अब सीबीआई ने इस मामले में केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. अधिकारी ने केरल में विभिन्न स्थानों का दौरा किया और अपनी रिपोर्ट में कहा कि कंपनियों ने आईआरसीओएन के लिए पूर्णता प्रमाण पत्र में उल्लेखित कार्य किया. उन्होंने कहा कि दावे कथित तौर पर झूठे पाए गए.

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