
First Navratri of Shailputri: चैत्र नवरात्रि आज यानी 30 मार्च से शुरू हो गई है. यह नौ दिनों का पवित्र त्योहार है जिसमें पूरे उत्तर भारत में मां दुर्गा की पूजा बड़े ही धूमधाम से की जाती है. साल में चार बार नवरात्रि आती है,पहली चैत्र, दूसरी शरद और दो गुप्त नवरात्रि. साल की शुरुआत में चैत्र महीने में पड़ने वाले नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि कहते हैं. यह मां दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, जो हिमालय की पुत्री हैं.
मां शैलपुत्री कौन हैं?
शैलपुत्री का अर्थ है "पर्वतराज हिमालय की पुत्री". माना जाता है कि वह हिमालय की पुत्री हैं और देवी पार्वती का पहला रूप हैं. देवी शैलपुत्री को वृषभ (बैल) पर सवार दिखाया गया है और उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल है. उन्हें शांति, स्थिरता और दृढ़ता का प्रतीक माना जाता है.
प्रथम नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से भक्तों को शक्ति और साहस मिलता है. यह दिन हमें प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने और हिमालय की सुंदरता और शक्ति का सम्मान करने का अवसर देता है. मां शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन में स्थिरता और शांति आती है.
पहला नवरात्र शैलपुत्री मां की पूजन विधि:
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.
एक साफ चौकी पर मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें.
मां को फूल, फल, मिठाई और विशेष रूप से सफेद मिठाई अर्पित करें.
धूप और दीप जलाकर मां की आरती करें.
मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप करें.
क्या करें पहले दिन
पहले दिन घटस्थापना की जाती है.
पहले दिन पीला रंग शुभ माना जाता है.
माँ शैलपुत्री की पूजा के साथ साथ शिव जी की पूजा भी करें.
इस दिन दान पुण्य करना बहुत शुभ माना जाता है.