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पिता के साथ नहीं रहना चाहती थी नाबालिक बच्ची, मां से मिलने के लिए करनी पड़ी कड़ी मशक्कत

राजस्थान में नाबालिक बच्ची को अपनी मां के पास जाने से रोक दिया गया. बच्ची अपने पिता और सौतली मां के संग नहीं रहना चाहती थी.

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पिता के साथ नहीं रहना चाहती थी नाबालिक बच्ची, मां से मिलने के लिए करनी पड़ी कड़ी मशक्कत
(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Rajasthan News: चित्तौड़गढ़ में एक नाबालिक बच्ची को अपनी ही मां के साथ रहने के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा. लड़की के मां और बाप दोनों ने दूसरी शादी कर ली. बच्ची अपने बाप और सौतेली मां के साथ न रहकर अपनी जैविक मां के पास रहने की बात पर अड़ गई. इसके बावजूद बाल कल्याण समिति ने उसे बालिका गृह भिजवा दिया था. वहां से पिछले दिनों बालिका की मर्जी के बगैर उसके पिता को सुपुर्द कर दिया था. लड़की ने अपनी सौतेली मां पर जबरदस्ती शादी करवाने और प्रताड़ित करने का भी आरोप लगाया. 

ऐसी पहुंची अपनी मां के पास लड़की

जानकारी के अनुसार बाल कल्याण समिति ने संरक्षण की आवश्यकता वाली बालिका को उसकी मर्जी के बगैर बालिका गृह से उसके पिता के पास भिजवा दिया. जानकारी के अनुसार सोमवार को बालिका अपने घर से फिर जाने लगी तो उसके पिता ने उसका कारण पूछा तो उसने मां के पास जाने की इच्छा जताई.

बाद में गांव के लोग एकत्र हो गए. सरपंच और गांव के लोगों की मौजूदगी में बालिका ने एक बार फिर मां के पास ही रहने की बात कही. इसके बाद समाज के लोग एकत्र हुए और कलेक्ट्रेट में उसकी माता को बुलाया. जहां स्टाम्प पर लिखा-पढ़ी के बाद बालिका को उसकी मां को सुपुर्द कर दिया.

बाल कल्याण समिति पर खड़े हुए सवाल

बाल कल्याण समिति ने बालिका को पहले बालिका गृह भिजवा दिया और बाद में पिता को सुपुर्द कर दिया. हालांकि उसकी मां द्वारा बालिका को मांगे जाने और सरंक्षण की आवश्यकता जताई गई थी. साथ ही बालिका ने भी अपनी मां के पास ही रहने की इच्छा बार-बार जताई थी.

जबकि किशोर न्याय अधिनियम के नियमों के मुताबिक बालक अथवा बालिका को प्राकृतिक परिजनों को सुपुर्द करने का प्रावधान है, जो कि उसकी इच्छा पर निर्भर होता है. ऐसे में बाल कल्याण समिति के इस निर्णय पर भी सवाल खड़े हुए है.

बालिका गृह भिजवाना गलत

पिछले दिनों बालिका को जबरन बाल कल्याण गृह भेजे जाने और उसके पिता को दिये जाने के चलते बालिका की मां ने बाल कल्याण समिति पर कथित राजनीतिक दबाव और धन लाभ प्राप्त करने का आरोप लगाया था. इ

समें कहा था कि बालिका को अंतिम विकल्प बालिका गृह भिजवाना गलत है. इधर सूत्र बताते है कि बालिका की सखी सेंटर में काउंसलिंग के दौरान भी बालिका ने अपनी प्राकृतिक माता के पास ही जाने की इच्छा जताई थी.

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