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This Article is From Oct 06, 2023

चूरू: चार महीने से जारी किसानों का धरना समाप्त, प्रशासन ने मानी सभी मांगें

चार महीने के बाद प्रशासन और किसानों के बीच बीमा क्लेम को लेकर समझौता हो गया. जिसके बाद किसानों ने अपना धरना समाप्त कर दिया.

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चूरू: चार महीने से जारी किसानों का धरना समाप्त, प्रशासन ने मानी सभी मांगें
किसानों और प्रशासन के बीच हुआ समझौता
CHURU:

चूरू में पिछले चार महीने से चल रहा किसानों का आंदोलन आखिरकार शुक्रवार शाम को समाप्त हो गया. किसान बीमा क्लेम की मांग को लेकर 2 जून से कलेक्ट्रेट के आगे धरने पर बैठे थे. इस दौरान किसानों ने कई बार हाइवे जाम किया. शुक्रवार को सारे दिन किसान आर-पार की लड़ाई के मूड में दिखे, इस दौरान किसानों ने देर रात तक कलेक्ट्रेट में डेरा डाले रखा. लेकिन अब  किसानों के आंदोलन को देखते हुए प्रशासन ने अब किसानों की सभी मांगे मान ली है, किसानों और प्रशासन के बीच समझौता होने के बाद किसानों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया.

अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश महामंत्री  छगनलाल चौधरी ने बताया कि कलेक्टर की रिपोर्ट के आधार पर फैसला रिव्यू करने का निर्णय लिया गया है. इसके बाद किसानों ने अपना धरना समाप्त कर दिया.

आज सुबह से कलेक्ट्रेट पर जुटने लगे थे किसान 

 शुक्रवार को सुबह से ही जिलेभर से बड़ी संख्या में किसान चूरू कलेक्ट्रेट के सामने एकत्रित हो गए थे . किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए कलेक्ट्रेट पर पुलिस का भारी जाब्ता तैनात था . जिले के आला अधिकारियों समेत आरएसी का जाब्ता भी लगाया गया था .

चार महीने से चल रहा था किसानों का धरना 

किसान सभा के राज्य सदस्य एडवोकेट निर्मल ने बताया कि जिले भर के किसान पिछले 2 जून से अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं. जब किसान महापड़ाव शुरू हुआ था, तब अफसरों ने दस दिन का समय मांगा था और विश्वास दिलाया था कि सभी व्यवस्थाएं ठीक कर देगें. मगर आज चार महीने से भी ज्यादा समय बीत गया है स्थिति जस की तस बनी हुई थी .

खरीफ की फसल के बीमा क्लेम की मांग कर रहे थे किसान 

प्रजापति ने बताया कि किसानों का प्रमुख मुद्दा खरीफ 2021 की फसल बीमा क्लेम क्रॉप कटिंग की रिपोर्ट को खारिज करके सेटेलाइट के आधार पर दिया गया था जोकि सारसर ग़लत था. जिले के 72 हजार किसानों का बैंकों की लापरवाही से प्रीमियम पोर्टल पर अपलोड नहीं हुआ. उस पर कोई अंतिम निर्णय अभी तक नहीं हुआ था. इसके अलावा 12 हजार किसानों का फसल बीमा पॉलिसी बीमा कंपनियों ने बिना वजह रिजेक्ट कर दिया. उन पॉलिसी को स्वीकार करवाना यह तीन मुख्य मुद्दे हैं.

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