
भीलवाड़ा शहर के शास्त्री नगर में रहने वाले एक कपड़ा व्यापारी ने शहर से करीब 18 किलोमीटर दूर जंगल में पेड़ पर लटक कर आत्महत्या कर ली. बड़लियास थाना क्षेत्र में सवाईपुर तहसील मुख्यालय के नेशनल हाईवे 758 के पास जंगल में ग्रामीणों ने अधेड़ का शव बबूल के पेड़ पर लटका हुआ देखा तो स्थानीय पुलिस को सूचना दी.
सूचना पर पहुंची बड़लियास थाना पुलिस ने शव की तलाशी ली और अधेड़ की जेब से एक सुसाइड नोट व आवश्यक दस्तावेज मिले. इसके बाद पुलिस ने परिजनों को सूचना दी. थाना प्रभारी शिवचरण ने बताया कि ग्रामीणों से सूचना मिली की पूजा होटल के पास जंगल में एक अधेड़ की लाश बबूल के पेड़ पर लटकी हुई है.
मर्जी से आत्महत्या कर रहा हूं
जेब से मिले आधार कार्ड से शव की पहचान रतनलाल चपलोत निवासी कुमुद विहार, शास्त्री नगर भीलवाड़ा के रूप में हुई. मृतक हमीरगढ़ में कपड़ा व्यापारी था. मृतक ने सुसाइड नोट में लिखा कि मैं मेरी मर्जी से आत्महत्या कर रहा हूं, इसमें किसी का दोष नहीं है. दोनों पुत्र और पुत्रवधू की कोई गलती नहीं है. आप एक काम करना कि मम्मी जी का बहुत ध्यान रखना.
परिवारजन बोले घूमने के लिए निकले थे
मौके पर आए रतनलाल के दोनों बेटों ने बताया कि पिता जी आज सुबह घूमने की बात कहकर घर से स्कूटी लेकर निकले थे. ऐसी घटना होगी किसी को अंदाजा नहीं था. शव को पेड़ पर लटका देख घटनास्थल पर बड़ी संख्या में ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई. ग्रामीणों ने बताया स्कूटी घटनास्थल के पास हाईवे पर एक चाय दुकान पर खड़ी थी.
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शव को लेकर घूमती रही पुलिस
परिजनों के आने के बाद पुलिस शव का पोस्टमार्टम करवाने के लिए आकोला चिकित्सालय ले गई. जहां डॉक्टर छुट्टी पर होने के मृतक के परिजनों को शव के साथ वापस कर दिया. इसके बाद पुलिस शव को बड़लियास चिकित्सालय लेकर गई, जहां डॉक्टर ने मना करते हुए, मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करने की बात लिखकर कोटड़ी भेज दिया. पुलिस फिर शव को बड़लियास से कोटड़ी चिकित्सालय लेकर गई,
पोस्टमार्टम के लिए 40 किमी का सफर
ग्रामीणों के मुताबिक सवाईपुर चिकित्सालय में मोर्चरी व पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के चलते आए दिन सड़क दुर्घटना व अन्य कारणों में मृत्यु होने पर पुलिस को शव को जिला मुख्यालय या कोटड़ी चिकित्सालय ले जाकर पोस्टमॉर्टम करवाना पड़ता है. वहीं कोटड़ी अब शाहपुरा जिले में आ गई है, अगर ऐसे में कोटड़ी वाले भी मना करने देते हैं तो शव को भीलवाड़ा जिला चिकित्सालय लेकर जाना पड़ता है, जो बड़लियास से करीब 40 किलोमीटर दूर पड़ता है. ऐसे में मृतक के परिजनों व पुलिस को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.