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Report: बीते 52 सालों से जैसलमेर में नहीं बना जीआरपी थाना, इसलिए बढ़ रहे अपराध!

जैसलमेर आए पर्यटक और यात्रियों को रेलवे सम्बन्धी शिकायत के लिए 120 किमी दूर जैसलमेर स्थित जीआरपी चौकी आना पड़ता है या फिर 180 किमी दूर जोधपुर जाना पड़ता है.

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Report: बीते 52 सालों से जैसलमेर में नहीं बना जीआरपी थाना, इसलिए बढ़ रहे अपराध!
JAISALMER :

राजस्थान के स्वर्णनगरी के नाम मशहूर जैसलमेर में भ्रमण करने के लिए हर साल दुनियाभर के लाखों सैलानी आते हैं. इसमें से अधिकांश सैलानी रेल सेवा का उपयोग कर जैसलमेर पहुंचते हैं. साथ ही सीमावर्ती जिला होने के कारण यहां सेना और बीएसएफ के जवानों की छावनी होने के कारण ट्रेनों का काफी मूवमेंट रहता हैं, बावजूद इसके जैसलमेर स्टेशन पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए अभी तक जीआरपी थाना नहीं है. 

GRP (गर्वमेंट रेलवे पुलिस) की प्राथमिक भूमिका भारत में रेलवे स्टेशनों के भीतर कानून व्यवस्था का बनाए रखना होता है. वे सुरक्षा प्रदान करते हैं और ट्रेनों और रेलवे परिसरों में अपराधों की जांच करते हैं. GRP रेलवे अधिकारियों व रेलवे सुरक्षा बल को आवश्यक सहायता भी प्रदान करता है.

गौरतलब है जैसलमेर जाने वाली ट्रेनों में कई बार सैलानियों को मारपीट, चोरी और स्नैचिंग की जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन सैलानी कुछ कर नहीं पाते हैं. इसका सबसे बड़ा कारण है कि जैसलमेर रेलवे स्टेशन पर राजकीय रेलवे पुलिस का थाना का नहीं होना.

पुनर्विकास में खर्च हो रहे 140 करोड़ रुपए 

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जैसलमेर रेलवे स्टेशन पर बीते 52 साल में यात्री भार 10 गुना बढ़ चुके हैं. फिर भी यहां जीआरपी थाना नहीं है. जैसलमेर रेलवे स्टेशन पर करीब 140 करोड़ रुपए खर्च कर पुनर्विकास करवाया जा रहा है, लेकिन जीआरपी थाना नहीं खोला गया है. जिस कारण मुकदमा दर्ज करवाने के लिए पीड़ितों को जैसलमेर से 300 किमी दूर जोधपुर स्थित जीआरपी थाने जाना पड़ता है. इससे सैलानियों की परेशानी भी बढ़ जाती है और वो शिकायत नहीं कर पाते हैं.

1971 से यात्री भार बढ़ा, लेकिन ना चौकी बनी ना थाना 

जैसलमेर रेलवे स्टेशन पर साल 1971 में जीआरपी की चौकी स्थापित की गई थी. उस समय जैसलमेर से जोधपुर के लिए दिन में एक ट्रेन ही चलती थी. जोधपुर के अलावा दूसरे जिलों और राज्यों के लिए जैसलमेर से एक भी ट्रेन नहीं थी. उस समय यात्री भार बहुत कम था और पर्यटक भी नहीं आते थे,लेकिन बीते 52 साल में जैसलमेर को कई ट्रेनें मिली है.

पर्यटन नगरी होने के कारण लाखों सैलानी ट्रेनों से स्वर्णनगरी जैसलमेर पहुंचते है, लेकिन यहां बढ़ते सैलानियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए सुविधाओं का विस्तार नहीं किया गया है. जैसलमेर रेलवे स्टेशन पर अभी आरपीएफ का थाना है, लेकिन जीआरपी थाना नही.

5 साल में केवल 33 मामले हुए दर्ज

दअरसल, जीआरपी थाना नहीं होने के कारण यात्री सीधा मुकदमा दर्ज नहीं करवा पाते है. उनको पहले रिपोर्ट जीआरपी चौकी को शिकायत देनी होती है, फिर रिपोर्ट जोधपुर थाने ले जाया जाता है. उसके बाद मुकदमा दर्ज होता है. इस कारण यात्री मामला दर्ज करवाने से भी हिचकिचाते है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 5 सालों में अब तक सिर्फ 33 मुकदमे ही दर्ज करवाएं गए है.

जैसलमेर जीआरपी चौकी में वर्ष 2019 में 13 मुकदमे दर्ज हुए है. वहीं 2020 में 1, 2021 में 4, 2022 में 9 और 2023 में 6 मुकदमे ही दर्ज हुए है. स्नैचिंग, चोरी व गुमशुदगी के मामले RPF थाने पर ज्यादा आते हैं.

बाबा रामदेवरा की नगरी में जीआरपी चौकी तक नहीं

जैसलमेर में बाबा रामदेव की नगरी रामदेवरा धार्मिक स्थल है, यहां बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन करने के लिए सालाना लाखों यात्री आते है. जहां कई राज्यों से यात्री यहां दर्शन करने के लिए पहुंचते है. इन यात्रियों के साथ भी कई प्रकार की घटनाएं हो जाती है. यात्री रामदेवरा में शिकायत नहीं कर पाते है, क्योंकि रामदेवरा रेलवे स्टेशन पर GRP चौकी नहीं है.

प्रशासन की ओर से हो रही अनदेखी

पर्यटन के लिहाज से जैसलमेर की गिनती राजस्थान ही नहीं, देश के प्रमुख शहरों में शुमार है. यहां पर्यटकों के साथ-साथ, बार्डर क्षेत्र होने के चलते आर्मी और बीएसएफ की आवाजाही भी लगातार रहती है. बावजूद इसके देश के प्रमुख रेलवे स्टेशन पर जीआरपी थाना नहीं है. इसके लिए प्रशासन की अनदेखी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. 

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