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बाड़मेर के शहीद डालूराम को सैन्य सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई, गांव में छाया मातम

रास्ते में जगह-जगह स्कूली बच्चों और स्थानीय लोगों ने पुष्प वर्षा कर श्रद्धांजलि दी. शहीद डालूराम अमर रहे के नारे लगाए.

बाड़मेर के शहीद डालूराम को सैन्य सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई, गांव में छाया मातम
शहीद हेड कांस्टेबल डालूराम की पार्थिव देह उनके पैतृक निवास पहुंची.

पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर के सिणधरी पंचायत समिति के होडू गांव में उस समय गमगीन माहौल छा गया, जब सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के शहीद हेड कांस्टेबल डालूराम की पार्थिव देह उनके पैतृक निवास पहुंची. पंजाब के फिरोजपुर में ड्रग्स तस्करी के खिलाफ सर्च ऑपरेशन के दौरान शहीद हुए, डालूराम के अंतिम दर्शन के लिए परिजन और ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी. बुधवार को गांव में सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया, जिसमें बीएसएफ के अधिकारियों और जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.

फिरोजपुर में तैनात थे 

52 वर्षीय डालूराम 1995 में बीएसएफ में भर्ती हुए थे, और फिरोजपुर में तैनात थे. फिरोजपुर के ममदोट ब्लॉक के गांव जल्लोके में मिली गुप्त सूचना के आधार पर बीएसएफ की टीम ड्रग्स की खेप की तलाश कर रही थी. इस दौरान डालूराम एक खेत में बने कुएं में गिर गए, जहां बोरवेल मशीन से उनके सिर में गंभीर चोट लगी. अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली.

रोते-बिलखते हीद हेड कांस्टेबल डालूराम की पार्थिव देह.

रोते-बिलखते हीद हेड कांस्टेबल डालूराम की पार्थिव देह.

तिरंगे में लिपटा पहुंचा पार्थिव शरीर 

जब बुधवार सुबह डालूराम की पार्थिव देह तिरंगे में लपेटकर उनके गांव होडू पहुंची, तो घर में कोहराम मच गया. उनकी बुजुर्ग मां, पत्नी, बेटा और बेटी का रो-रोकर बुरा हाल था. परिजन ने बताया कि डालूराम मई में परिवार में एक शादी समारोह में शामिल होने के लिए गांव आए थे, और 21 मई को ड्यूटी पर वापस लौट गए थे. उनकी शहादत की खबर ने पूरे गांव को झकझोर दिया. ग्रामीणों और रिश्तेदारों ने उनके अंतिम दर्शन किए और उनकी वीरता को याद किया.

सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार

बुधवार को होडू गांव में डालूराम का अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ किया गया. बीएसएफ के अधिकारियों और जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर शहीद को विदाई दी. इस दौरान 'शहीद डालूराम अमर रहे, और 'भारत माता की जय' के नारे गूंजते रहे. अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए, जिनमें स्थानीय जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी और आसपास के गांवों के निवासी भी थे. हर किसी की आंखें नम थीं, लेकिन शहीद की बहादुरी पर गर्व का भाव भी साफ झलक रहा था. शहीद डालूराम अपने पीछे बुजुर्ग मां, पत्नी, बेटा और बेटी को छोड़ गए हैं.

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