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राजस्थान में पनप रहा है डेंगू का खतरा, 15 दिनों में 700 से अधिक मामले, दो जिलों में सबसे ज्यादा खतरा

बारिश के बाद राजस्थान में डेंगू का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. बारिश का पानी गड्ढों और तालाबों में जमा है. जबकि शहर में सड़क और नाले में गंदा पानी जमा हो गया है.

राजस्थान में पनप रहा है डेंगू का खतरा, 15 दिनों में 700 से अधिक मामले, दो जिलों में सबसे ज्यादा खतरा
राजस्थान में बढ़ा डेंगू का खतरा

Rajasthan Dengue: राजस्थान में इस साल मानसून की भारी बारिश से जहां किसानों में खुशी है. वहीं मानसून बारिश इस बार इतनी हुई है कि 49 साल का रिकॉर्ड टूट गया है. मानसून की बारिश से राजस्थान के कई जिलों में परेशानी भी बढ़ गई है. क्योंकि बारिश से सड़क, रेल और भवन को काफी क्षति पहुंची है. वहीं मानसून अब अपने आखिरी दौर में हैं. अब बारिश से निजात तो मिलने वाला है लेकिन अब पूरे प्रदेश में बारिश से होने वाली बीमारियों से लोगों को जूझना है. बारिश की वजह से सबसे अधिक डेंगू का खतरा होता है जो प्रदेश में काफी तेजी से पनपने लगा है.

बारिश के बाद राजस्थान में डेंगू का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. बारिश का पानी गड्ढों और तालाबों में जमा है. जबकि शहर में सड़क और नाले में गंदा पानी जमा हो गया है. ऐसे में बारिश के इन जल जमाव में ही डेंगू के मच्छर पनपते हैं.

प्रदेश में 15 दिन में आए हैं 700 मामले

राजस्थान डेंगू तेजी से पैर पसार रहा है यह इस बात से पता चलता है कि प्रदेश में डेंगू के 2313 मामले सामने आए हैं. इतना ही नहीं पिछले 15 दिनों में यहां 700 से अधिक मामले सामने आए हैं. जबकि डेंगू के सबसे अधिक मामले जयपुर और उदयपुर में दिख रहे हैं. हालांकि, डेंगू के मामले बढ़ने के बाद SMS अस्पताल के सामान्य वार्ड और ICU में डेंगू मरीजों के लिए बेड रिजर्व किए गए हैं.

कब डेंगू होता है घातक

एसएमएस कॉलेज के प्रोफेसर और मौसमी बीमारियों के विशेषज्ञ डॉ संजय महावार बताते हैं कि इस समय मौसमी बीमारियों का प्रकोप ज्यादा है. एसएमएस में भर्ती होने लायक मामले ही सामने आते हैं. हालांकि डेंगू ऐसी बीमारी है जो सामान्य दवा से ठीक हो सकती है. जब तक व्यक्ति को पहले से कोई बीमारी न हो और कोई दवा न चल रही हो. तब तक सामान्य दवाओं से उसका इलाज हो सकता है. डेंगू फीवर में 1% और डेंगू शॉक सिंड्रोम में 1 से 10% मरीजों को गंभीर समस्या होती है. इनमें हेमरेज, ब्लड की कमी जैसी समस्याएं होती हैं। 

इसमें ध्यान रखने वाली बात यह है कि कॉम्बीफ्लाम, एस्पिरिन, ब्रूफेन जैसी दवाइयां एंटी प्लेटलेट दवाइयां हैं. इनके लेने से प्लेटलेट कम होता है। डेंगू में पहले से प्लेटलेट कम होता है, यह दवाइयां भी प्लेटलेट घटाती हैं. 

ब्लड बैंक की चुनौती बढ़ी केवल 1000 यूनिट है उपलब्ध

मौसमी बीमारियों, खासकर डेंगू के मामलों में प्लेटलेट की कमी से मरीजों को अक्सर जूझना होता है. मौसमी बीमारियों के बढ़ते मामलों के बीच राजधानी के ब्लड बैंको में खून की कमी भी बड़ी चुनौती है. एसएमएस अस्पताल से संबद्ध ब्लड बैंक में 1500 यूनिट ब्लड होना चाहिए लेकिन फिलहाल 1000 यूनिट ही उपलब्ध है. संभावित खतरे को देखते हुए एसएमएस कॉलेज के आईएचटीएम विभाग के विभागाध्यक्ष भीम सिंह मीणा ने सामाजिक संगठनों एवं आमलोगों ने ब्लड डोनेट करने की अपील की है.

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