राजस्थान के झालावाड़ जिले में बीते दिनों कुछ मवेशियों में लंपी वायरस के लक्षण दिखे. जिसके बाद आस-पास के जिलों सहित पूरे प्रदेश में मवेशीपालक, डॉक्टर, गौशाला संचालक अलर्ट मोड में है. इसकी बानगी कोटा में भी देखने को मिल रही है. जहां गोवंश को लंपी वायरस से बचाने के लिए नगर निगम प्रशासन खास मुस्तैदी बरत रहा है. यहां शहर से रोजाना पकड़कर लाई जाने वाले गोवंश को अलग बाड़ों में रखा जा रहा है. इसके साथ ही वायरस से बचाव के लिए गायों के टीकाकरण पर जोर दिया जा रहा है.
गौशाला समिति के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह के अनुसार बंधा गौशाला में 3000 से अधिक गोवंश है जिनकी रोजाना जांच की जा रही है. पिछले वर्ष लंपी के दौर में गौशालाओं में रह रही 2 वर्ष की गायों का टीकाकरण कराया गया था. इसके साथ ही एलोपैथिक और आयुर्वेदिक इलाज के माध्यम से शहर के विभिन्न स्थानों से पड़कर गौशाला में लाई गई 200 से अधिक लंपी पीड़ित गायों का इलाज भी किया गया.
दावा- गौशाला में पर्याप्त मात्रा में दवाइयां उपलब्ध
वहीं गौशाला में पशु चिकित्सा के रूप में सेवाएं दे रहे डॉक्टर नंदकिशोर के अनुसार वर्तमान में एक भी गोवंश लंपी से पीड़ित नहीं है और गौशाला में पर्याप्त मात्रा में दवाइयां उपलब्ध है. पशु पालन विभाग से भी टीकाकरण की दवाइयां मांगी गई है ताकि जरूरत पड़ने पर कार्य या सके.
नगर निगम प्रशासन ने की अपील
नगर निगम प्रशासन ने शहर के लोगों से अपील की है कि वे अपने पालतू पशुओं का नियमित रूप से टीकाकरण कराएं और लंपी वायरस के लक्षणों के बारे में जानकारी रखें. यदि किसी पालतू पशु में लंपी वायरस के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें.
जाने क्या है लंपी वायरस
लंपी वायरस एक संक्रामक रोग है जो मवेशियों में होता है. यह रोग एक वायरस के कारण होता है जो जानवरों के बीच संपर्क के माध्यम से फैलता है. लंपी वायरस से संक्रमित जानवरों में त्वचा पर गांठें, बुखार और थकान जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. गंभीर मामलों में, लंपी वायरस से जानवरों की मौत भी हो सकती है.
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