
Rajasthan News: दौसा का जिला अस्पताल जिसे मिनी एसएमएस के नाम से जाना जाता है और जल्द ही मेडिकल कॉलेज बनने की राह पर है, एक बार फिर लापरवाही के कारण सुर्खियों में है. मरीजों के परिजनों को खुद स्ट्रेचर और ट्रॉली खींचकर मरीजों को इमरजेंसी वार्ड तक ले जाना पड़ रहा है. यह स्थिति तब है, जब अस्पताल में ट्रॉली मैन और हेल्परों की पूरी फौज मौजूद है.
बुधवार को नीमला निवासी उगन्ती देवी, जो चलाना बालाजी के पास सड़क हादसे में घायल हो गई थीं, को उनके परिजन दौसा जिला अस्पताल लेकर पहुंचे. लेकिन वहां न तो कोई ट्रॉली मैन मदद के लिए आया और न ही हेल्पर. परिजनों ने बताया कि उन्होंने कई बार कर्मचारियों से मदद मांगी, लेकिन किसी ने जवाब तक नहीं दिया.
मजबूरन उन्हें खुद उगन्ती देवी को स्ट्रेचर पर एक्स-रे और डॉक्टरों तक ले जाना पड़ा. परिजनों का कहना है कि इलाज के लिए भी उन्हें डॉक्टरों के पास चक्कर काटने पड़े.
पहले भी हो चुका है हंगामा
यह कोई पहला मामला नहीं है. कुछ दिन पहले भी अस्पताल में चिकित्सकों की लापरवाही के कारण एक मरीज की मौत हो गई थी, जिसके बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया था. इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया. ट्रॉली मैन और हेल्पर अपने काम के बजाय अधिकारियों की चापलूसी में व्यस्त रहते हैं, जिसका खामियाजा मरीजों और उनके परिजनों को भुगतना पड़ता है.
सरकार की योजनाओं पर सवाल
भजनलाल सरकार मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए गंभीर है, लेकिन दौसा जिला अस्पताल का प्रशासन सरकार की योजनाओं को पलीता लगा रहा है. कर्मचारियों की लापरवाही के कारण मरीजों को वो सुविधाएं नहीं मिल रही हैं, जिनके लिए सरकार मोटा बजट देती है.
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