DRDO: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की अत्याधुनिक डिफेंस लेबोरेटरी, जोधपुर ने बुधवार को भारतीय सेनाओं के लिए एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की. जोधपुर स्थित डीएलजे ने कॉलेज ऑफ मिलिट्री इंजीनियरिंग (सीएमई), पुणे को स्वदेशी रूप से विकसित उन्नत कैमोफ्लाज पैटर्न जेनरेशन सॉफ्टवेयर 'सिग्मा 4.0' (CPGSS 4.0) और फुल-स्केल मल्टीस्पेक्ट्रल सिग्नेचर टैंक मॉक-अप औपचारिक रूप से हस्तांतरित किया.
इस विशेष हैंडओवर सेरेमनी में सीएमई पुणे के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल ए.के. रमेश, एसएम मुख्य अतिथि रहे. कार्यक्रम में डीएलजे के निदेशक वी.एस. शेनोई और दोनों संस्थानों के वरिष्ठ वैज्ञानिक तथा अधिकारी मौजूद रहे. समारोह के दौरान सिग्मा 4.0 को तीनों सेनाओं थलसेना, वायुसेना और नौसेना के लिए आधिकारिक रूप से लॉन्च किया गया.
क्या है 'सिग्मा 4.0' ?
डीआरडीओ द्वारा विकसित यह नया सॉफ्टवेयर आधुनिक युद्धक्षेत्र की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है. यह सॉफ्टवेयर भू-आकृति, मौसम, ऑपरेशनल वातावरण, रोशनी की स्थिति, के आधार पर स्वचालित रूप से सबसे प्रभावी कैमोफ्लाज पैटर्न तैयार कर सकता है. इससे सैन्य उपकरणों, वाहनों और प्लेटफॉर्म्स की दृश्यता और सिग्नेचर (visual, IR, thermal, radar) में भारी कमी आएगी, जिससे दुश्मन की निगरानी प्रणालियों को धोखा देना ज्यादा आसान होगा. यह तकनीक विशेष रूप से भविष्य के हाई-टेक युद्धक्षेत्र में बेहद उपयोगी साबित होगी.
टैंक का मल्टीस्पेक्ट्रल सिग्नेचर मॉक-अप
इसके साथ ही डीएलजे ने एक पूर्ण आकार का मल्टीस्पेक्ट्रल सिग्नेचर टैंक मॉक-अप भी सौंपा, जो आधुनिक कैमोफ्लाजिंग और डिसेप्शन तकनीक को समझने और प्रशिक्षित करने के लिए तैयार किया गया है. यह मॉक-अप अत्यंत वास्तविक तरीके से विजुअल, इन्फ्रारेड (IR), थर्मल, रडार सभी सिग्नेचर को अनुकरण करता है. इसका उपयोग सैन्यकर्मी कैमोफ्लाज तकनीक, सिग्नेचर मैनेजमेंट और युद्ध में छल-प्रपंच (deception) की उन्नत ट्रेनिंग में करेंगे.
आत्मनिर्भर भारत मिशन को मजबूती
हैंडओवर सेरेमनी के दौरान अधिकारियों ने कहा कि यह तकनीक न केवल भारतीय सेनाओं को मजबूत बनाएगी, बल्कि भारत को रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. आधुनिक युद्ध तकनीकों पर आधारित इस तरह की स्वदेशी क्षमताएँ भारत की सामरिक बढ़त को और अधिक सशक्त करेंगी.
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