
Rajasthan News: दिल्ली के श्रीचंद यादव उर्फ श्रीकांत का 12 साल बाद वनवास खत्म होने जा रहा है. वह 12 साल पहले अपने परिवार से बिछड़ गए और भटकते हुए डीडवाना के पास कठौती गांव पहुंच गए थे. तब से वह कठौती गांव में ही रहे. कठौती गांव के लोगों ने 12 सालों तक श्रीचंद यादव को अपने परिवार के सदस्य की तरह सम्मान का भाव रखा है. अब 12 साल बाद कठौती गांव के लोगों ने श्रीचंद को गले लगाकर उनके परिजनों के साथ विदा किया है.
कठौती गांव में गुजारा 12 साल
दरअसल, श्रीचंद का परिवार 12 साल पहले ट्रेन में सफर कर रहा था. जब लखनऊ स्टेशन आया तो श्रीचंद यादव ट्रेन से उतर गए और भटकते हुए डीडवाना के पास कठौती गांव पहुंच गए. उनका परिवार ने इन 12 सालों में श्रीचन्द की काफी तलाश की, लेकिन उनका कोई पता नहीं चला. इस बीच श्रीचंद नागौर जिले के जायल उपखंड के ग्राम कठौती पहुंच जाते है, जहां पर वे एक दुकानदार राजूराम मेघवाल और समाजसेवी जीवनराम के संपर्क आए.
समय के साथ गांव के लोगों से श्रीचंद घुल मिल गए और इसी गांव में 12 साल का लंबा वक्त गुजार दिया. करीब छह महीने पहले जीवन ज्योति सेवा संस्थान के रवि कुमार श्रीचंद यादव को अपने संस्थान ले आए और श्रीचंद के परिवार को ढूंढना शुरू किया. श्रीचन्द बार बार अपने गांव का नाम लेते थे और जिससे उनके परिवार को पता चल पाया. संस्था के स्पेशल टीचर सुखदेव जयपाल को लखनऊ के हमीरपुर पुलिस थाने से श्रीचंद के परिवार का स्थाई पता और नंबर मिले.
2013 में गुमशुदगी की दर्ज कराई थी रिपोर्ट
जब परिजनों को पता चला कि श्रीचंद यादव जिंदा हैं और सुरक्षित हैं, तब उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा और मात्र 12 घंटों में श्रीचंद की पत्नी संतोष देवी, पुत्री उर्मिला और पुत्र राजेश यादव डीडवाना पहुंचे, जहां उन्हें श्रीचंद यादव मिल गए. जब श्रीचंद यादव का परिवार उनसे मिला तो हर किसी की आंख नम थीं. श्रीचंद के परिजनों ने बताया कि सितंबर 2013 में उन्होंने हमीरपुर थाना में श्रीचंद यादव की गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज करवाई थी, लेकिन उनका कोई पता नहीं चला.