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रींगस के भैरव बाबा मंदिर में ऑनलाइन पूजा का विवाद सुलझा, मंदिर समिति और कंपनी ने किया समझौता

रींगस के भैरव बाबा मंदिर की समिति और श्री ऐप ने औपचारिक तौर पर आपसी मतभेदों को दूर करने के लिए समझौता कर लिया है.

रींगस के भैरव बाबा मंदिर में ऑनलाइन पूजा का विवाद सुलझा, मंदिर समिति और कंपनी ने किया समझौता
रींगस के भैरव बाबा मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं

Rajasthan News: राजस्थान के सीकर ज़िले के रींगस कस्बे में लोक देवता शमशानिया भैरव बाबा के मंदिर में ऑनलाइन पूजा करवाने को लेकर श्री मंदिर ऐप और मंदिर समिति के बीच समझौता हो गया है. पिछले सप्ताह मंदिर से जुड़े कुछ सदस्यों ने आरोप लगाया था कि इस ऐप ने मंदिर से बिना अनुमति लिए हज़ारों श्रद्धालुओं से पूजा के नाम पर चढ़ावे के लिए पैसे लिए. लेकिन ऐप निर्माताओं ने इस आरोप को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि उन्होंने मंदिर कमिटी को सूचित कर भक्तों के लिए सुविधा शुरू की थी और यह पूजा सुचारू रूप से करवाई गई जिसके समुचित प्रमाण हैं. ऐप बनानेवाली कंपनी के अधिकारी ने बताया कि मंदिर में हस्ताक्षरकर्ता संस्था नहीं होने की वजह से औपचारिक रूप से लिखित दस्तावेज़ तैयार नहीं हो सके थे.

समझौते पर दोनों पक्षों ने हस्ताक्षर किए

समझौते पर दोनों पक्षों ने हस्ताक्षर किए
Photo Credit: NDTV

दोनों पक्षों के बीच समझौता

इस ख़बर के सामने आने के बाद अब कंपनी और मंदिर समिति ने औपचारिक तौर पर आपसी मतभेदों को दूर करने के लिए समझौता कर लिया है. मंदिर समिति और श्री ऐप ने रविवार, 3 अगस्त को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. इसमें कहा गया है कि दोनों पक्षों ने 'पूर्व में जो भी ग़लतफ़हमियां या विवाद या मतभेद हुए हैं उन्हें आपसी सहमति से पूरी तरह सुलझा लिया है'.

मंदिर समिति के कोषाध्यक्ष फूलचंद गुर्जर ने NDTV से कहा कि मंदिर समिति और कंपनी दोनों ही चाहते थे कि इस विवाद को खत्म किया जाए तो समझौता हो गया और अब मंदिर समिति खुश है.

25 हज़ार से ज़्यादा श्रद्धालुओं ने की पूजा

इस मामले में ऐप की निर्माता कंपनी ऐप्स फॉर भारत (AppsForBharat) के संस्थापक तथा सीईओ प्रशांत सचान ने NDTV को बताया कि श्री मंदिर ऐप ने नवंबर 2022 से अप्रैल 2025 तक इस मंदिर में सेवा दी है और इस अवधि में उन्होंने 25,000 से ज़्यादा श्रद्धालुओं की सेवा की. 

उन्होंने बताया कि इस दौरान इस ऐप के माध्यम से पूजा के साथ हर श्रद्धालु को उनके चढ़ावे का प्रमाण दिया गया और चढ़ावे में प्रयोग हुए 2000 लीटर तेल, 150 किलो पेड़ा और 400 पैकेट कपूर मंदिर को प्रदान किए गए.

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