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This Article is From Feb 05, 2024

मुकंदरा टाइगर रिजर्व में बाघ लाने की कवायद हुई तेज, मशालपुरा गांव खोने को तैयार नहीं हैं चार परिवार

इस टाइगर रिजर्व परियोजना को वर्ष 2013 में घोषित किया गया था उसके बाद से काम लगातार बाधित होता रहा और आखिरकार वर्ष 2018 में पहली बार यहां एक बाघ को क्लोजर में छोड़ा गया. बाद में एक अन्य यहां पर खुद-ब-खुद पहुंच गया जिसके बाद उस बाग के साथ एक मादा को भी यहां छोड़ा गया था.

मुकंदरा टाइगर रिजर्व में बाघ लाने की कवायद हुई तेज, मशालपुरा गांव खोने को तैयार नहीं हैं चार परिवार
बाघ (फाइल फोटो)

Mukundra Hills Tiger Reserve: राजस्थान सरकार की महत्वपूर्ण परियोजना मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में एक बार फिर से बाघ छोड़ने की बात कही जा रही है. विभाग की तरफ से इस मामले को लेकर तैयारियां भी शुरू कर दी गई है, लेकिन पहले भी बिना तैयारी के यहां बाघ छोड़े जाने के बाद इस परियोजना को नुकसान हो चुका है, जो संभवतः विभाग भूल गया है?  

मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व परियोजना के 18 किलोमीटर लंबे कोर क्षेत्र से विस्थापन का कार्य अभी भी पूरा नहीं हो पाया है. विशेषज्ञ कहते हैं कि जब तक बाघों के क्षेत्र में मानव का दखल रहेगा, तब तक दोनों एक दूसरे के लिए खतरा बने रहेंगे.

माना जा रहा है ऐसी सूरत में बाघों का अस्तित्व फिर से संकट में आ सकता है. क्योंकि पूर्व में की गई जल्दबाजी के चलते ही यहां चार बाघों और दो शावकों में से महज एक बाघ जीवित बच पाया, जिसको भी घायल अवस्था में दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ा. जबकि तीन बाघ और दो शावक मौत के मुंह में समा गए‌.

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परियोजना कोर क्षेत्र के मशालपुरा गांव में चिन्हित 157 परिवार विस्थापित हो गए हैं और लगभग सभी को मुआवजा दे दिया गया है, लेकिन चार परिवार ऐसे हैं, जो यहां से बाहर निकलना नहीं चाहते है.

चार परिवार नहीं है निकलने को तैयार

गांव के चार परिवारों ने अबी विस्थापन के लिए अपनी स्वीकृति प्रदान नहीं की है, ऐसे में वह चार परिवार पूरे गांव के विस्थापन के बाद भी यहीं पर रहेंगे. हालांकि गांव में अभी कुछ परिवार और रह रहे हैं. उनका कहना है कि उनका मुआवजा खेत में फसल की बुवाई कर देने के बाद आया था, ऐसे में वह फसल कटाई करने के बाद यहां से चले जाएंगे. 

मशालपुरा गांव है सबसे बेहतरीन क्षेत्र 

विशेषज्ञ बताते हैं की पूरी मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व परियोजना का सबसे बेहतरीन क्षेत्र यही है, जो दरा के घाटी से शुरू होकर झालावाड़ के गागरोन तक फैला हुआ है. इस 18 किलोमीटर के कोर क्षेत्र में नदियां, तालाब, झरने, पोखर, पहाड़ एवं बेहतरीन प्राकृतिक वातावरण के साथ-साथ बाघों की खुराक के रूप में वन्यजीवों की अन्य प्रजातियां भी काफी मौजूद है. इसीलिए इसको बाघों के लिए आदर्श क्षेत्र माना जाता है.

इस परियोजना में बाघ छोड़े गए थे तब भी यह इलाका उनका पसंदीदा क्षेत्र बना रहा, क्योंकि बाघ लगातार इसी इलाके में विचारण करते थे. इस इलाके में एक क्लोजर भी बना हुआ है, जहां सर्वप्रथम बाघ एमटी-1 को रखा गया था.

प्रत्येक बालिग व्यक्ति को मिला है मुआवजा

सरकार द्वारा निर्धारित किए गए नियमों के अनुसार मशालपुरा गांव के प्रत्येक परिवार के प्रत्येक बालिग व्यक्ति को उसके आधार कार्ड में दर्ज उम्र के हिसाब से 15 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया है. ऐसे में जो लोग यहां रहकर छोटी-मोटी जमीनों में खेती-बाड़ी किया करते थे, उनका काफी बड़ा फायदा हुआ है और मुआवजे में मिले पैसों से दूसरी जगह जाकर मकान बनाकर अच्छा जीवन गुजार रहे हैं.

मशालपुरा गांव

मशालपुरा गांव

मुआवजे को लेकर संतुष्ट नहीं है लोग

पूरी परियोजना क्षेत्र से अभी एकमात्र मशालपुरा गांव का ही विस्थापन किया गया है, लेकिन चार परिवार यहां से निकलने को तैयार नहीं है. परिवार का कहना है कि चार परिवारों में कुल सात भाई हैं और 24 लोग कुल मिलाकर वहां रहते हैं. ऐसे में इलाका छोड़कर नहीं जाएंगे. हालांकि वह यह भी कहते हैं कि यदि सरकार पहल करें और उनको एक अच्छा पैकेज दिया जाए तो वह इस बारे में विचार करेंगे.

परिवार का कहना है कि जो मुआवजा मिल रहा है वह काफी नहीं है. सरकार व्यक्ति के हिसाब से मुआवजा दे रही है,लेकिन उनकी सवा सौ बीघा से ज्यादा खेती की कीमत मुआवजे से अधिक है और उससे उपजे अनाज की तादाद बड़ी होती है.
मुकुंदरा टाइगर रिजर्व परियोजना

मुकुंदरा टाइगर रिजर्व परियोजना

वन रक्षक हरीश कुमार ने बताया कि विभाग की इन परिवार वालों से लगातार बातचीत चल रही है और कोशिश की जा रही है कि जल्द इनसे सामंजस्य बिठाकर परियोजना को शुरू किया जा सके. क्योंकि विस्थापन की प्रक्रिया सुरक्षित है, जो भी व्यक्ति विस्थापित नहीं होना चाहता,उसको किसी भी नियम के तहत जबरन विस्थापित नहीं किया जा सकता है

क्या है टाइगर रिजर्व परियोजना ?

मुकुंदरा टाइगर रिजर्व परियोजना को वर्ष 2013 में घोषित किया गया था उसके बाद से काम लगातार बाधित होता रहा. वर्ष 2018 में पहली बार यहां एक बाघ को क्लोजर में छोड़ा गया. बाद में एक अन्य यहां पर खुद-ब-खुद पहुंच गया, जिसके बाद उस बाघ के साथ एक मादा को भी यहां छोड़ा गया था.

क्लोजर से निकाले गए बाघ के साथ भी एक मादा यहां छोड़ी गई और कुछ समय बाद एक मादा बाघ ने दो शावकों को भी जन्म दिया, लेकिन वो यहां रहने वाले मनुष्य बाघों को बर्दाश्त नहीं कर पाए और धीरे-धीरे करके सभी भाग मौत के मुंह में समा गए, एक मात्र बाघ यहां जिंदा बचा जिसको भी घायल अवस्था में दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया.

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