
Sachin Pilot Political Bet: देश में चार महीने बाद आम चुनाव होने हैं. सभी राजनीतिक दल चुनावों की तैयारियों में जुट गए हैं. भारतीय जनता पार्टी के चुनावी प्रचार से यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि, भाजपा एक फिर प्रधानमंत्री के चेहरे को आगे रख कर चुनाव लड़ेगी.
ऐसे में 'इंडिया गठबंधन' के सामने चुनौती है कि भाजपा के इस 'पॉलिटिकल पैटर्न' का तोड़ कैसे निकाला जाए? चर्चा है कि, कांग्रेस इस बार प्रदेशों में सक्रिय अपने बड़े नेताओं को लोकसभा चुनाव लड़वा सकती है ताकि मोदी के चेहरे के प्रभाव को को कम किया जा सके.
दरअसल, रविवार को जब पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के विधानसभा क्षेत्र टोंक में लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए हुई बैठक में पूर्व मंत्री मुरारी लाल मीणा टोंक पहुंचे थे. इस दौरान बैठक में मौजूद पार्टी कार्यकर्ताओं ने पायलट को टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़वाने की मांग की.
2013 विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था. उसके बाद अशोक गहलोत को दिल्ली बुलाया गया. वो गुजरात के प्रभारी रहे कांग्रेस के संगठन महासचिव रहे और उसी वक्त राजस्थान की राजनीति में सचिन पायलट की एंट्री हुई. वो राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए थे.
'मैं थांसू दूर कोनी...'
इस दौरान गहलोत जब भी राजस्थान आते थे, तब जनता को संबोधित करते हुए यह कहते थे 'मैं थांसू दूर कोनी' यानी 'मैं तुमसे दूर नहीं हूं'. यही बात कुछ दिन पहले सचिन पायलट ने उस समय दोहराई जब उन्हें पार्टी ने छत्तीसगढ़ में प्रभारी बना कर भेजा. ऐसे में राजनीती के जानकार यह कहते हैं कि, सचिन पायलट लोकसभा चुनाव न लड़ने का संकेत दे रहे हैं.
गहलोत के बाद की राजस्थान कांग्रेस
अशोक गहलोत अभी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने कोर्डिनेशन कमेटी का सदस्य हैं, जिसके सियासी संकेत यही हैं कि अब गहलोत 'दिल्ली की राजनीति' करेंगे. पायलट कांग्रेस के लिए 'चमत्कारिक' नेता हैं. कांग्रेस को प्रदेश में 2018 का विधानसभा चुनाव जितवाने में उनकी बड़ी भूमिका थी. ऐसे में पायलट और खुद कांग्रेस चाहेगी कि गहलोत के बाद पायलट प्रदेश की राजनीति में पार्टी का चेहरा बन जाएं.
टोंक- सवाई माधोपुर सीट ही क्यों?
अगर पायलट लोकसभा चुनाव लड़े तो यह लगभग तय है कि, वो टोंक- सवाई माधोपुर लोकसभा सीट ही से चुनाव लड़ेंगे. उसकी कई वजहें हैं, पहली तो यह की पायलट टोंक विधानसभा सीट से लगातार 2 बार विधायक बन चुके हैं. दूसरा, इस सीट पर गुर्जर मतदाताओं की अच्छी खासी तादाद है. हालंकि भाजपा ने यहां पिछले दो लोकसभा चुनाव में सुखबीर सिंह जौनपुरिया को टिकट दिया है. तीसरा यह इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की तादाद भी अच्छी-खासी है.
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