Rajasthan News: राजस्थान सरकार के ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर इन दिनों पूरी तरह से एक्शन मोड में दिखाई दे रहे हैं. झालावाड़ के पीपलोदी में हुए दर्दनाक स्कूल हादसे के बाद मंत्री नागर ने अपने विधानसभा क्षेत्र सांगोद से लेकर पूरे प्रदेश के स्कूल भवनों के निर्माण की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को एक कड़ा पत्र लिखकर पिछले 5 वर्षों में हुए सभी स्कूल निर्माण कार्यों की स्वतंत्र कमेटी से जांच कराने और निर्माण एजेंसी को बदलने की मांग की है.
मंत्री नागर ने खुद बिशनपुरा गांव के निर्माणाधीन स्कूल का निरीक्षण किया, जहां घटिया निर्माण कार्य की शिकायतें मिली थीं. मौके पर ही उन्होंने कई खराब निर्माण कार्यों को ध्वस्त करने और दोषियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए. अब उन्होंने इस समस्या को अपने विधानसभा क्षेत्र तक सीमित न रखकर, पूरे प्रदेश के स्कूलों की दुर्दशा पर मुख्यमंत्री का ध्यान खींचा है.
'समसा सिविल विंग को भंग करें'
मुख्यमंत्री को लिखे अपने विस्तृत पत्र में, हीरालाल नागर ने समग्र शिक्षा अभियान (समसा) की सिविल विंग के काम करने के तरीके पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने स्पष्ट रूप से बताया कि समसा की सिविल विंग को तुरंत भंग कर देना चाहिए और आगे से सभी सिविल कार्य सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) को सौंप दिए जाने चाहिए.
शिक्षकों से इंजीनियरिंग का काम
नागर ने आरोप लगाया है कि शिक्षा विभाग की समसा विंग में योग्य और प्रशिक्षित इंजीनियरों की भारी कमी है. इस कमी को पूरा करने के लिए, जिन शिक्षकों के पास इंजीनियरिंग या डिप्लोमा की डिग्री है, उन्हें समसा द्वारा प्रतिनियुक्ति (Deputation) पर लिया जाता है. नागर का इशारा है कि शिक्षकों से इंजीनियरिंग का काम करवाना गुणवत्ता को प्रभावित करता है.
कहीं टपकती छत, कहीं फर्श उखड़े
मंत्री ने साफ लिखा है कि समसा के अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से निर्माण कार्य BSR (बेसिक शिड्यूल ऑफ रेट्स) से भी कम दर पर कराए जाते हैं. इसका सीधा नतीजा यह होता है कि ठेकेदार गुणवत्ता से समझौता करते हैं. नागर ने मुख्यमंत्री को प्रदेश के कई स्कूलों की दयनीय स्थिति से अवगत कराया. उन्होंने लिखा कि गुणवत्तापूर्ण काम न होने के कारण कई स्कूलों की छतें टपकने लगी हैं, फर्श उखड़ चुके हैं और कई विद्यालयों की छतें तो गिर भी चुकी हैं. मंत्री ने कहा है कि समसा द्वारा किए गए खराब निर्माण कार्यों के कारण सरकार की बदनामी हो रही है.
मिलीभगत और भुगतान में गड़बड़ी का आरोप
मंत्री नागर ने भुगतान प्रक्रिया में होने वाली बड़ी गड़बड़ियों पर भी उंगली उठाई है. नियमों के अनुसार, 10 लाख रुपये से अधिक के निर्माण कार्य की गारंटी अवधि 5 वर्ष होती है और ठेकेदार की 10 प्रतिशत राशि रोक ली जाती है. यह राशि प्रधानाचार्य की सिफारिश पर ही जारी होनी चाहिए. नागर का आरोप है कि अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक (समग्र शिक्षा) के दबाव में आकर प्रधानाचार्य स्कूल भवन का ठीक से निरीक्षण किए बिना ही ठेकेदारों को अनापत्ति पत्र (NOC) जारी कर देते हैं. इससे ठेकेदारों का भुगतान हो जाता है, जबकि छत की मरम्मत या अन्य जरूरी काम अधूरे रह जाते हैं.
ठोस कदम उठाने की जरूरत
मंत्री हीरालाल नागर ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से निवेदन किया है कि विद्यालयों भवनों की इस दयनीय और खतरनाक स्थिति को देखते हुए ठोस कदम उठाने की सख्त आवश्यकता है. उन्होंने याद दिलाया कि पूर्व में स्कूलों का निर्माण PWD द्वारा किया जाता था, जो गुणवत्तापूर्ण होता था. इस पत्र के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जल्द ही कोई बड़ा फैसला लिए जाने की उम्मीद है. यदि सरकार मंत्री की मांग मान लेती है, तो पिछले 5 साल में समसा द्वारा किए गए करोड़ों के निर्माण कार्यों की स्वतंत्र कमेटी से जांच होगी, जिससे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो सकता है.
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