
Rajasthan News: राजस्थान में झालावाड़ जिले के पीपलोदी में स्कूल भवन गिरने की घटना ने शिक्षा विभाग की लापरवाही को उजागर कर दिया है. इस घटना में 7 बच्चों की मौत हुई थी और 27 के करीब बच्चे घायल हुए थे. इस हादसे के बाद प्रशासन हरकत में आया और जिले के स्कूलों की स्थिति जांचने के लिए सर्वे शुरू किया. सर्वे के नतीजे चौंकाने वाले हैं. जिले के सैकड़ों स्कूल भवन जर्जर हालत में हैं, जो बच्चों के लिए खतरा बने हुए हैं.
1274 स्कूलों को मरम्मत की जरूरत
जिले में कुल 1689 स्कूल हैं. इनमें से 1625 स्कूलों का सर्वे पूरा हो चुका है. सर्वे बताता है कि 1274 स्कूलों को बड़े स्तर पर मरम्मत की जरूरत है. कुल 3651 कमरे इतने जर्जर हैं कि उनमें बच्चों को बिठाना खतरे से खाली नहीं. सबसे चिंताजनक बात यह है कि 448 स्कूल भवनों को पूरी तरह कंडम घोषित कर दिया गया है. इन भवनों में अब बच्चों को पढ़ाने पर रोक लगा दी गई है.
500 करोड़ का बजट बनाकर भेजा
सर्वे कमेटी का अनुमान है कि जर्जर स्कूलों की मरम्मत के लिए 500 करोड़ रुपये चाहिए. इसके लिए प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है, लेकिन बजट कब और कैसे मिलेगा, यह सवाल अनसुलझा है. तब तक बड़ा सवाल यह है कि इन 448 स्कूलों के बच्चे कहां पढ़ाई करेंगे? फिलहाल प्रशासन ने स्कूलों में छुट्टियां घोषित कर दी हैं, लेकिन यह कोई स्थायी हल नहीं है.
लापरवाही पर जनता में गुस्सा
पीपलोदी हादसे के बाद लोगों में शिक्षा विभाग के खिलाफ गुस्सा है. ग्रामीण इलाकों से लेकर झालावाड़ शहर तक, कई स्कूल भवन खस्ता हालत में हैं. लोग कहते हैं कि नए स्कूल भवन बनने के बाद उनकी देखभाल की जिम्मेदारी कोई नहीं लेता. सरकारें बदलती रहीं, लेकिन स्कूलों की हालत बद से बदतर होती गई.
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