Opposition to ethanol factory in Tibbi area of Hanumangarh: हनुमानगढ़ के टिब्बी क्षेत्र में एथनॉल फैक्ट्री के विरोध में हुए किसान आंदोलन से जुड़ी हिंसा के मामले में अब विरोध प्रदर्शन थमने के बाद कानूनी घमासान तेज हो गया है. किसान नेता बलकौर सिंह ढिल्लों ने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को फर्जी और द्वेषपूर्ण बताते हुए माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर की मुख्य पीठ का दरवाजा खटखटाया है.
पुलिस थाना टिब्बी में दर्ज प्राथमिकी संख्या 511/2025 में नामजद किए जाने के खिलाफ बलकौर सिंह ढिल्लों की ओर से फौजदारी विविध याचिका दायर की गई है. यह याचिका अधिवक्ता निशान्त गाबा और मुदित नागपाल के माध्यम से उच्च न्यायालय में प्रस्तुत की गई है. ढिल्लों का आरोप है कि उन्हें जानबूझकर एक ऐसे मामले में फंसाया गया जिससे उनका कोई लेना देना ही नहीं था.
ढिल्लों सहित सैकड़ों किसानों को नामजद कर दिया गया
याचिका में बताया गया है कि इसी घटना को लेकर पहले ही प्राथमिकी संख्या 510/2025 दर्ज की जा चुकी थी, जिसमें बलकौर सिंह ढिल्लों का नाम कहीं भी शामिल नहीं था. इसके बावजूद कथित द्वेषपूर्ण राजनीति और किसानों के खिलाफ साजिश के तहत दूसरी प्राथमिकी संख्या 511/2025 दर्ज कर ढिल्लों सहित सैकड़ों किसानों को नामजद कर दिया गया. याचिका में इस कार्रवाई को कानून का खुला दुरुपयोग और दुर्भावनापूर्ण बताया गया है.
अधिवक्ता निशान्त गाबा ने अदालत को बताया कि जिस दिन इस घटना के घटित होने का दावा किया गया है, उस दिन बलकौर सिंह ढिल्लों राजस्थान में मौजूद ही नहीं थे. उस दिन वे पंजाब के हाकूवाला गांव में थे और शाम के समय अपने खेत में मौजूद थे. इस संबंध में उनकी लोकेशन और मौजूदगी से जुड़े सभी पुख्ता साक्ष्य माननीय उच्च न्यायालय जोधपुर के समक्ष प्रस्तुत कर दिए गए हैं.
क्या है पूरा मामला ?
यह पूरा मामला टिब्बी क्षेत्र में प्रस्तावित एथनॉल फैक्ट्री के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन से जुड़ा है. इसी आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमे में संगरिया क्षेत्र के किसान नेता बलकौर सिंह ढिल्लों का नाम भी शामिल किया गया है. बलकौर सिंह ढिल्लों का कहना है कि वे उस समय हनुमानगढ़ जिले में दोपहर तक थे ही नहीं, इसके बावजूद जानबूझकर उन्हें मामले में घसीटा गया.
ढिल्लों ने इस पूरे घटनाक्रम को किसानों की आवाज दबाने की कोशिश करार दिया है. उनका कहना है कि शांतिपूर्ण आंदोलन करने वाले किसानों को डराने और आंदोलन को कमजोर करने के लिए इस तरह के मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं. उन्होंने न्यायपालिका पर पूरा भरोसा जताते हुए कहा है कि उन्हें न्यायालय से इंसाफ मिलने की पूरी उम्मीद है. मामले में अब शीतकालीन अवकाश के बाद जनवरी माह में सुनवाई होने की संभावना जताई जा रही है.
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