Deoli-Uniara Assembly By-Election: राजस्थान के रामगढ़, झुंझुनू, दौसा, देवली-उनियारा, चोरासी, सलूंबर विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. इन सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. यह चुनाव इस लिए ख़ास हैं क्योंकि अभी विधानसभा का 4 साल का कार्यकाल बाकी है. ऐसे में सभी दलों में टिकट पाने के लिए नेता जद्दोजहद कर रहे हैं. राजनीतिक दलों के पास भी 'नए प्रयोग ' करने के लिए मौका है.
देवली उनियारा भी ऐसी ही एक सीट है. जहां कांग्रेस नया प्रयोग कर सकती है और वो है गुर्जर समुदाय से किसी को टिकट देना. इस प्रयोग से वो ख़ास तौर पर दो समीकरणों को एक साध सकती है.
कांग्रेस का एक प्रयोग और कई समीकरणों पर नजर!
पहला यह कि उपचुनाव में कांग्रेस के पास कोई ऐसी सीट नहीं है जहां वो गुर्जर उम्मीदवार को टिकट दे सके. ऐसे में जातिगत समीकरणों को बैलेंस करने के लिए कांग्रेस बड़ा दांव खेल सकती है. दूसरा विधानसभा में यह गया था कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाने से नाराज गुर्जर समुदाय कांग्रेस से छिटक गया था. ऐसे में गुर्जर समुदाय को दोबारा अपने पाले में लाने का कांग्रेस यह मौका जाने नहीं देना चाहेगी.
अब सवाल यह है कि अगर कांग्रेस गुर्जर उम्मीदवार को टिकट देती है तो किस नेता पर दांव खेल सकती है? ऐसे में दो नाम सामने आते हैं. धीरज गुर्जर और प्रह्लाद गुंजल.
प्रह्लाद गुंजल का नाम भी चर्चा में
इस सीट पर कांग्रेस प्रह्लाद गुंजल को उम्मीदवार बना कर चौंका सकती है. गुंजल लोकसभा चुनाव से पहले ही भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए थे और लोकसभा चुनाव में कोटा संसदीय सीट पर उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को कड़ी टक्कर दी थी. गुंजल गुर्जर समुदाय से आते हैं और उनकी इस समुदाय में काफी पैठ है. ऐसे में गुर्जर बहुल इस सीट पर कांग्रेस उन्हें उम्मीदवार बना सकती है.
धीरज का भी नाम चल रहा
वहीं दुसरे उम्मीदवार धीरज गुर्जर हो सकते हैं. वो कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव है. हालांकि जहाजपुर से वो लगातार दो बार चुनाव हार चुके हैं, लेकिन प्रियंका गांधी के करीबी होने की वजह से उन्हें उम्मीदवार बनाया जा सकता है. धीरज गुर्जर सचिन पायलट और अशोक गहलोत दोनों से तालमेल बना कर चलते हैं.
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