Rajasthan News: भारतीय जनता पार्टी (BJP) की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सीपी जोशी (CP Joshi) ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) के संबंध में हुए समझौते को ऐतिहासिक करार देते हुए सोमवार को कहा कि यह राजस्थान और मध्य प्रदेश के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने कहा, 'राज्य में ‘डबल इंजन' की सरकार बनने के बाद दोनों सरकारों के बीच समझौता और एक ऐतिहासिक निर्णय हुआ है. इस समझौते से 20 वर्षों से चल रहे विवाद का खात्मा हुआ. संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना (ईआरसीपी) राजस्थान और मध्य प्रदेश के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगी.'
26 जिलों को मिलेगा लाभ
सीपी जोशी ने बताया कि सीएम शर्मा लगातार मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव के संपर्क में थे और उन्होंने पीएम मोदी से भी मुलाकात की. उसी क्षण से इस परियोजना को बढ़ावा मिला और 28 जनवरी को राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच एक समझौता ज्ञापन हुआ. 83 विधानसभा क्षेत्रों और राजस्थान की 40 फीसदी आबादी को इस ईआरसीपी योजना का लाभ मिलेगा. पार्टी के बयान के अनुसार जोशी ने कहा कि चुनाव के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रदेश की जनता से जो वादा किया था उसे पूरा किया है. यही कारण है कि देश की जनता को मोदी की गारंटी पर पूरा भरोसा है. ईआरसीपी की संयुक्त परियोजना रपट (डीपीआर) बनाने को लेकर रविवार को नयी दिल्ली में केंद्र सरकार, राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार के बीच त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं. जोशी ने कहा कि नदियों के पानी का सदुपयोग करने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है. ईआरसीपी में पानी के बंटवारे को लेकर समझौता होने से दोनों राज्यों के 26 जिलों को लाभ मिलेगा.
बांधों में बचाया जाएगा पानी
प्रदेश कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा, जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री कन्हैयालाल भी मौजूद रहे. पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने कहा, 'भाजपा सरकार द्वारा 2016 में बनाई गयी ईआरसीपी का समझौता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रतिबद्धता का परिणाम है.' राजे ने एक बयान में विश्वास जताया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा उनकी इस परियोजना को पूरा करेंगे और राजस्थान को अपने हितों के अनुरूप पूरा पानी मिल सकेगा. वहीं राजस्थान के कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि इस योजना की मदद से बारिश का सारा पानी सिंचाई बांधों में बचाया जाएगा. वर्षा का सारा पानी जो बह जाता है और बर्बाद हो जाता है, उसे अब सिंचाई बांधों में बचाया जाएगा. 2 लाख 10 हेक्टेयर नई भूमि की सिंचाई की जाएगी, और वर्तमान में सिंचित की जा रही 80,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की गारंटी होगी.