
जिला उपभोक्ता आयोग, जयपुर तृतीय ने ग्राहक के पैन कार्ड का दुरुपयोग कर उसे किसी अन्य व्यक्ति के लोन से जोड़ने और उसकी सिबिल रिपोर्ट खराब करने को वित्तीय कंपनी की लापरवाही और अनुचित व्यापारिक प्रथा (Unfair Trade Practice) माना है. आयोग ने इस आधार पर विपक्षी हिंदुजा लीलैंड फाइनेंस कंपनी पर ₹51,000 का हर्जाना लगाने का आदेश दिया है.
आयोग के अध्यक्ष देवेंद्र मोहन माथुर और सदस्य पवन कुमार भारद्वाज ने यह आदेश सुरेंद्र सिंह द्वारा दायर परिवाद पर पारित किया.
चुका था दिया लोन
परिवादी सुरेंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने कंपनी से लोन लिया था. 8 अक्टूबर 2019 को पूरी तरह चुका दिया था, और उसका एनओसी भी प्राप्त कर लिया था. बाद में जब उन्होंने अपनी सिबिल रिपोर्ट निकलवाई तो उसमें विपक्षी कंपनी का एक अज्ञात लोन दर्ज था. पता चला कि यह लोन किसी अन्य व्यक्ति का था, जिसका परिवादी से कोई संबंध नहीं था. यह पाया गया कि विपक्षी कंपनी ने परिवादी के पैन कार्ड को अवैध रूप से उस अज्ञात लोन से जोड़ दिया और उसका दुरुपयोग किया.
इस कारण परिवादी की सिबिल रिपोर्ट खराब हो गई और वह अन्य किसी भी वित्तीय संस्थान से लोन लेने में असमर्थ हो गया.
शिकायत के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
परिवादी द्वारा कंपनी के ऑफिस में शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई. जवाब में कंपनी ने कहा कि पैन कार्ड का दुरुपयोग नहीं किया गया है, बल्कि यह एक तकनीकी खामी है जिसकी जांच की जा रही है.
अज्ञात लोन हटाने के आदेश
दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आयोग ने यह माना कि कंपनी की लापरवाही के कारण ही परिवादी की सिबिल रिपोर्ट प्रभावित हुई है. इसके लिए कंपनी को जिम्मेदार मानते हुए ₹51,000 का हर्जाना भरने का आदेश दिया गया है. साथ ही आयोग ने निर्देश दिया कि 7 दिन के भीतर परिवादी की सिबिल से अज्ञात लोन हटाया जाए, अन्यथा प्रति दिन ₹2,000 की पैनाल्टी लगाई जाएगी.
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