
Rajasthan News: राजस्थान के कोटा में वन्य जीव विभाग ने लुप्तप्राय घड़ियाल प्रजाति को बचाने के लिए कमर कस ली है. चंबल और परवन नदी के संगम पर बने एक टापू को घड़ियालों के प्रजनन के लिए सुरक्षित ठिकाना बनाया गया है. इस टापू पर वन विभाग ने तारों की मजबूत फेंसिंग कराई है ताकि घड़ियालों के अंडों को कोई नुकसान न पहुंचे. इसके साथ ही वन विभाग की टीम दिन-रात निगरानी कर रही है. इस प्रयास से घड़ियालों की आबादी धीरे-धीरे बढ़ रही है, जो पर्यावरण प्रेमियों के लिए खुशी की बात है.
मार्च में बनते हैं घोंसले, 30 से 50 अंडे देती है मादा
हर साल मार्च के महीने में मादा घड़ियाल इस टापू पर मिट्टी के घोंसले बनाती हैं. एक मादा घड़ियाल 30 से 50 अंडे देती है, जिन्हें वह दो महीने तक घोंसलों में सुरक्षित रखती है. इस दौरान मादा घड़ियाल अपने अंडों की देखभाल करती है. कोटा के इटावा क्षेत्र में स्थित इस टापू पर इस बार 15 से ज्यादा मादा घड़ियालों ने करीब 25 घोंसले बनाए हैं. अब इन अंडों से बच्चे निकलने शुरू हो गए हैं, जो चंबल नदी में तैरना शुरू कर चुके हैं.
वन विभाग की सतर्कता से सुरक्षित हैं घड़ियाल
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व रेंज के इस टापू को वन विभाग ने पूरी तरह सुरक्षित कर लिया है. टापू के चारों ओर तार की फेंसिंग के साथ-साथ दो वन कर्मचारी सुबह-शाम पहरा देते हैं. यह सतर्कता सुनिश्चित करती है कि घड़ियालों के अंडों को जंगली जानवरों या अन्य खतरों से कोई नुकसान न हो.
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