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JNV विश्वविद्यालय में पूर्व कर्मचारियों का धरना: पूर्व वीसी बोलें-  '75 साल की उम्र में दे रहे धरना, फिर भी कोई सुन नहीं रहा'

Rajasthan News: गहलोत-शेखावत सहित कई दिग्गज नेता जिस 'JNVU' के विद्यार्थी रहे हैं. वहीं अब पूर्व कुलपतियों सहित रिटायर्ड शिक्षक-कर्मचारियों को पेंशन के लिए ऐसा कदम उठाना पड़ रहा है. 

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JNV विश्वविद्यालय में पूर्व कर्मचारियों का धरना: पूर्व वीसी बोलें-  '75 साल की उम्र में दे रहे धरना, फिर भी कोई सुन नहीं रहा'
JNV विश्वविद्यालय में पूर्व कर्मचारियों के धरना-प्रदर्शन की तस्वीर

JNV University Retired Employees Protest: राजस्थान के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में एक जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में अग्रणी शिक्षण संस्थानों में गिना जाता है. यहां से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ ही वर्तमान केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ ही कई दिग्गज नेता इस विश्वविद्यालय के छात्र रहे चुके हैं. कई नेताओं ने यहा से अपनी छात्र राजनीति की शुरुआत की, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से विश्वविद्यालय अपनी आर्थिक तंगहाली से जूझ रहा है. विश्वविद्यालय में लगातार आय के संसाधन तो घट ही रहे हैं, वही पेंशनर्स की संख्या बढ़ रही है. 

दर-दर भटक रहे पेंशनर्स

विश्वविद्यालय के बदहाली का खामियाजा इसी विश्वविद्यालय में सेवा देने वाले कई पूर्व कुलपतियों सहित रिटायर्ड शिक्षकों-कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है. बुढ़ापे का सहारा पेंशन के लिए भी इन पेंशनर्स को दर-दर भटकने पर मजबूर होना पड़ रहा है. विश्वविद्यालय इन बुजुर्ग पेंशनर्स की समस्या का कोई स्थाई समाधान भी नहीं निकल पा रहा है. पिछले 6 दिनों से प्रतिदिन पूर्व कुलपतियों सहित पेंशनर्स विश्वविद्यालय के केंद्रीय कार्यालय में अपनी हक की लड़ाई के लिए कड़ी धूप में धरना देने पर मजबूर हो रहे है. लेकिन वर्तमान कुलपति प्रोफेसर. केएल श्रीवास्तव जो खुद इसी विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्ति शिक्षक के साथ पेंशनर्स है, वह पेंशनर्स की समस्या को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं. 

JNVU में करीब 1500 से अधिक पेंशनर्स हैं जेएनवीयू से एमबीएम यूनिवर्सिटी के अलग होने के बाद से ही विश्वविद्यालय की आर्थिक स्थिति पर इसका प्रभाव भी देखा गया है. हर महिने करीब 10 से 15 करोड़ का अतिरिक्त वित्तिय भार जेएनवीयू पर है. जिसके कारण हर माह पेंशनर्स को पेंशन देने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को भी जद्दो-जहद करनी पड़ती है.

'पेंशन का भुगतान नहीं करना मानवता के विरुद्ध'

जेएनवीयू में ही कुलपति के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके प्रोफेसर भंवर सिंह राजपुरोहित ने कहा कि 'विश्वविद्यालय और राज्य सरकार का यह नैतिक कर्तव्य है कि जिन्होंने इतने वर्षों तक यहां सेवाएं दी, उनको समय पर पेंशन दी जाए. सूर्य नगरी की तपती गर्मी में धरना- प्रदर्शन करने की शारीरिक क्षमता 75 वर्ष के पेंशनर्स में नहीं है. इन सभी पेंशनर्स को पेंशन का भुगतान नहीं करना मानवता के विरुद्ध है. भारत एक में प्रजातांत्रिक व्यवस्था है और यहां हर वर्ग का ध्यान रखा जाता है और पेंशन को लेकर कुलपति की नियत और नीति दोनों सही नहीं है.'

कुलपति के घेराव के बाद मिला आश्वासन

शनिवार को जेएनवीयू के वर्तमान कुलपति प्रोफेसर केएल श्रीवास्तव का पूर्व कुलपतियों और पेंशनर्स ने घेराव कर मांग रखी. इसके बाद कुलपति ने सभी पेंशनर्स को आश्वासन दिया की 5 अप्रैल तक सभी पेंशनर्स को पेंशन मिल सकेगी. उसके लिए फाइनेंस सेक्रेटरी से बात कर स्पेशल ग्रांट के लिए प्रयास किए जाएंगे. कुलपति के इस आश्वासन के बाद 5 अप्रैल तक धरना स्थगित किया गया.

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