Gajendra Singh Shekhawat: राजस्था के श्रीगंगानगर जिले के एक दिवसीय दौरे पर आए केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि सिंधु जल समझौता देश के हितों के विरुद्ध था. यह समझौता तत्कालीन सरकार ने अपने व्यक्तिगत सम्मान की लालसा में किया था. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंधु जल समझौते की सीमाओं को नकारकर भारत के जल-अधिकारों को मजबूती से स्थापित किया है. मंत्री शेखावत ने स्पष्ट किया कि आने वाले वक्त में चिनाब नदी का पानी पाकिस्तान न जाकर, सुदूर राजस्थान के सीमावर्ती जिलों से गुजरते हुए गुजरात तक पहुंचेगा.
पीएम नेहरू पर आरोप
मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जिस समय समझौता हुआ, उस समय सरकार को दूरदर्शिता का परिचय देना चाहिए था. लेकिन पानी का भविष्य में क्या महत्व और मूल्य होगा, यह कभी नहीं सोचा गया. उन्होंने कहा कि उस समय इंजीनियरों ने चेताया था कि यदि झेलम, चिनाब और सिंधु नदी पाकिस्तान को और रावी, व्यास व सतलुज भारत को दी जाती हैं तथा पानी का बंटवारा कमांड एरिया के आधार पर होगा, तो भारत के लिए आने वाले वर्षों में यह एक बड़े संकट में बदल सकता है. लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जवाब दिया कि “मैं पाकिस्तान को पानी देकर हमेशा के लिए शांति खरीदना चाहता हूं.”
20 प्रतिशत पानी ही भारत को मिला
शेखावत ने कहा कि आज इस समझौते को 65–66 वर्ष बीत चुके हैं और यह आत्मचिंतन का समय है कि भारत को कितना बड़ा नुकसान हुआ-पूरी की पूरी पीढ़ियों का नुकसान. 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान को, जबकि 20 प्रतिशत पानी भारत को मिला. वह भी इसलिए कि उस समय महाराजा गंगासिंह ने गंगनहर का निर्माण जैसलमेर तक करवाया था, जिसके कारण रावी नदी भारत के हिस्से में मिली, अन्यथा वह भी पाकिस्तान के पास चली जाती.
उन्होंने कहा कि जिस देश से दशकों बाद भी शांति की उम्मीद पूरी नहीं हुई, वहां इतना बड़ा जल–त्याग देशहित में कभी उचित नहीं ठहराया जा सकता.
बहरहाल, सिंधु नदी के पानी को लेकर देश में सियासत शुरू हो गई है. सिंधु नदी के पानी को राजस्थान लाने की बात की जा रही है. हालांकि विशेषज्ञों की मानें तो सिंधु के पानी को राजस्थान और गुजरात तक मोड़ना आसान काम नहीं है.
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