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Ganesh Chaturthi 2024: 550 सालों से भक्तों की मनोकामना पूरी करते आ रहे हैं आमलिया दादा, दर्शन मात्र से हो जाते हैं काम

Happy Ganesh Chaturthi 2024: राजस्थान में बांसवाड़ा जिले का सिद्धि विनायक गणेश मंदिर, जिसकी महिमा की प्रसिद्धि के चलते भक्त मीलों पैदल चलकर गजानन के दर तक पहुंचते हैं और उनके दर्शन का लाभ उठाते हैं.

Ganesh Chaturthi 2024: 550 सालों से भक्तों की मनोकामना पूरी करते आ रहे हैं आमलिया दादा, दर्शन मात्र से हो जाते हैं काम
सिद्धिविनायक आमलिया दादा गणेश मंदिर

Siddhivinayak Ganesh Mandir: इन दिनों प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में गणपति बप्पा  (Ganesh Chaturthi) की धूम है और हर कोई अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए बप्पा से प्रार्थना कर रहा है. ऐसे में विघ्नहर्ता के दर्शन के लिए गणेश मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं. इन्हीं में से एक है बांसवाड़ा (Banswara) जिले का श्री सिद्धि विनायक गणेश मंदिर (Siddhivinayak Ganesh Mandir), जिसकी महिमा की प्रसिद्धि के चलते भक्त मीलों पैदल चलकर गजानन के दर तक पहुंचते हैं और उनके दर्शन का लाभ उठाते हैं.

मंदिर में लगी भक्तों की लंबी कतारें

मंदिर में लगी भक्तों की लंबी कतारें
Photo Credit: NDTV

दर्शन मात्र से पूरी होती है सभी कामना

यह मंदिर बांसवाड़ा के तलवाड़ा गांव में है, जिसे कभी तिलकपुर पाटन नगरी के नाम से जाना जाता था. यह श्री सिद्धि विनायक आमलिया गणेशजी का मंदिर है, जो आसपास के इलाकों में आमलिया दादा (Amaliya Dada) के नाम से प्रसिद्ध है. मान्यता है कि इस मंदिर में एक बार दर्शन करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. चाहे भक्त इस मंदिर में अपनी मनोकामना पूरी करने की मंशा से आया हो या किसी परेशानी से मुक्ति पाने के लिए, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. ऐसा कुछ सालों से नहीं हो रहा है बल्कि साढ़े पांच सौ सालों से ऐसा होता आ रहा है जब से मंदिर की आधारशिला रखी गई थी, तब से आमलिया दादा हर भक्त के कष्ट दूर करते आ रहे हैं. यह प्रदेश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जिस पर 282 सोने के शिखर स्थापित किए गए हैं.

 मंदिर पर है 282 सोने के शिखर

मंदिर पर है 282 सोने के शिखर
Photo Credit: NDTV

 मंदिर पर लगे है 282 सोने के शिखर

नटराज के रूप में लाल पत्थर से बनी आमलिया गणेश की 6 फीट ऊंची आकर्षक भव्य प्रतिमा भक्तों की आस्था और भक्ति का प्रमुख केंद्र है. इस मंदिर का निर्माण गुजरात के सोलंकी वंश के कर्ण के जयसिंह ने 1166 विक्रम संवत् वैशाख शुक्ल तृतीया को गणेशजी की खड़ी प्रतिमा को अपनी विजय के उपलक्ष्य में स्थापित करवाया था. 11वीं शताब्दी में बने इस मंदिर का कई बार जीर्णोद्धार हुआ. संवत् 2016 में मंदिर में भगवान गणेशजी की 7 फीट ऊंची आकर्षक भव्य प्रतिमा स्थापित की गई.ढाई साल पहले फरवरी 2019 में इस मंदिर के शिखर प्रतिष्ठा समारोह के दौरान मंदिर पर 282 सोने के शिखर लगाए गए थे.

आमलिया दादा गणेश मंदिर

आमलिया दादा गणेश मंदिर
Photo Credit: NDTV

इमली के वृक्ष के नीचे स्थापित था मंदिर

प्राचीन मंदिर पहले इमली के पेड़ के नीचे स्थित था. मंदिर का प्राचीन नाम आमलिया दादा गणेश मंदिर है, आज भी मंदिर इसी नाम से जाना जाता है. अनंत चतुर्दशी पर यहां विशेष मेला लगता है और खास तौर पर बाल गणेश की मूर्ति को यहां झूले में झुलाया जाता है. जिसमें बाल गणेश को जन्मोत्सव पर रेशम की डोरी से विराजमान कर लाड़-प्यार किया जाता है.

यह भी पढ़ें: Ganesh Chaturthi Special: राजस्थान की सबसे बड़ी गणेश प्रतिमा, जहां मुस्लिम भी भगवान को देते हैं अपने निकाह का पहला निमंत्रण

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