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This Article is From Jun 13, 2024

जोधपुर के गिरधारीलाल का अनूठा जुनून, 100 साल से अधिक पुराने ग्रामोफोन रिकॉर्ड को संजोया

जोधपुर के गिरधारीलाल के जुनून और शौक के कारण 100 साल पहले की गायन शैली और रिकॉर्डिंग तकनीक के बारे में युवा पीढ़ी को जानने का मौका मिल रहा है.

जोधपुर के गिरधारीलाल का अनूठा जुनून, 100 साल से अधिक पुराने ग्रामोफोन रिकॉर्ड को संजोया
ग्रामोफोन

Jodhpur News: जोधपुर के रहने वाले गिरधारीलाल ने 100 साल से अधिक पुराने दुर्लभ ग्रामोफोन रिकॉर्ड (Gramophone Record) को सजोकर रखा है. उनके अनूठे रिकॉर्ड के संकलन से शोधार्थियों को काफी मदद मिल रही है. साल 1902 में जिस समय भारत में ग्रामोफोन आया था, तब से लेकर वर्तमान तक के ग्रामोफोन के रिकॉर्ड उनके पास हैं. उनके इस जुनून और शौक के कारण 100 साल पहले की गायन शैली और रिकॉर्डिंग तकनीक के बारे में युवा पीढ़ी को जानने का मौका मिल रहा है. 

40 वर्षों से पूरा कर रहे अपने शौक

गिरधारी लाल विश्वकर्मा बताते हैं कि मुझे बचपन से ग्रामोफोन के रिकॉर्ड्स को संरक्षित करने का शौक था और पिछले 40 वर्षों से अपने इस शौक को पूरा करते आ रहे हैं. मैंने अपनी स्कूल शिक्षा को पूरी करने के बाद 1983 से ग्रामोफोन के रिकॉर्ड्स को संरक्षित करना शुरू किया और उसका परिणाम है कि आज 10 हजार से अधिक ऐतिहासिक व दुर्लभ ग्रामोफोन के रिकार्ड्स संरक्षित है. 

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1910 का ग्रामोफोन रिकॉर्ड उनके पास

1910 में जब भारत में पहला ग्रामोफोन रिकॉर्ड बना था, वह रिकॉर्ड भी आज उनके पास सुरक्षित है और 1932 में जब पहली फिल्म का रिकॉर्ड्स बना था, वह भी उनके पास है. रिसर्च करने वाले शोधार्थी उनके संग्रालय आते हैं.गिरधारी लाल ने बताया कि शुरुआत में ग्रामोफोन रिकॉर्ड्स पत्थर और लाख मटेरियल के बने होते थे, जो वर्ष 1970 तक चले. उसके बाद प्लास्टिक मटेरियल से ग्रामोफोन रिकॉर्ड आने शुरू हुए जहां यह सारे रिकॉर्ड आज भी उनके पास है.

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राजस्थानी फिल्मों का पहला रिकॉर्ड 1961 का 'बाबोसा री लाडली' फिल्म का है और इसमें गीत की ऑरिजनल रिकॉर्डिंग हैं. 12 और 7 इंच के रिकॉर्ड देखकर हर कोई आश्चर्यचकित रह जाता है. गिरधारीलाल के पास 1905 के अल्ला दी बाई 'होरी राग' और होरी ताल में 'होरी गीत' का भी रिकॉर्ड मौजूद है. इसके अलावा  1914 में हंगामी और कुशल बाई का गाया हुआ मांड राग का रिकॉर्ड उनके पास है. 

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रिकॉर्ड को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित होता 

हिंदुस्तान की बोलती फिल्मों के दौर का पहला रिकॉर्ड 'माधुरी' फिल्म का 1932 का है, जिसमें क्लासिकल सिंगर विनायक राव पटवर्द्धन ने अपने स्वर में क्लासिकल अंदाज में गीतों को प्रस्तुत किया है. राजस्थानी फिल्मों का पहला रिकॉर्ड 1961 का 'बाबोसा री लाडली' फिल्म का है और इसमें गीत की ऑरिजनल रिकॉर्डिंग हैं. 12 और 7 इंच के रिकॉर्ड देखकर हर कोई आश्चर्यचकित रह जाता है.

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