टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल लोगों के जीवन में कितना बदलाव लाया है. इसका उदाहरण है कि सैकड़ों और हजारों किमी दूर किसी जगह का लोग गूगल मैप से रास्ता पता कर लेते हैं. इससे समय की बचत के साथ-साथ लोगों को काफी सहूलियत होती है. राजस्थान में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से 4 साल बाद एक बेटे की उसके पिता से मुलाकात हुई. बेटे से मुलाकात के बाद पिता की आंखों में आंसू आ गए.
4 साल पहले गायब हुआ था कैलाश
गूगल मैप के जरिए बेटे से पिता की मुलाकात की कहानी झारखंड के कैलाश की है. वह चार साल पहले मानसिक अवसाद के चलते अपने परिवार से बिछड़ गया था और राजस्थान के डीडवाना पहुंच गया. जहां पर सितंबर 2023 में बेसहारा हालत में देखकर कुचामन थाने के हेड कॉन्स्टेबल फारूक अली ने अपना घर आश्रम पहुंचाया था. तबसे आश्रम संचालन समिति के रंगनाथ काबरा, संपत सोमानी सहित सभी सदस्य कैलाश को उसके परिवार से मिलाने के लिए प्रयास कर रहे थे.
गूगल मैप से कैलाश का गांव खोजा
दूसरी ओर कैलाश को घर जैसा माहौल और चिकित्सा सुविधा दी गई. ताकि उसकी दिमागी हालत में सुधार हो सके. उधर पिता पूरण प्रसाद और उनका परिवार कैलाश की लगातार तलाश कर रहा था, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चल सका. अपना घर आश्रम के लोगों की मेहनत रंग लाई और एक दिन कैलाश की याददाश्त लौट आई. कैलाश को अपने गांव का नाम याद आने पर अपना घर आश्रम की टीम ने गूगल मैप पर उसके गांव को देखकर गांव के एक होटल को खोज निकाला.
पिता के आखों में आ गए आंसू
इसके बाद गांव के समाजसेवी मोहन कुमार पासवान से उनकी बात हुई. इस तरह से कैलाश को उसके परिवार से मिलने में ज्यादा वक्त नहीं लगा. 4 साल के लंबे इंतजार के बाद अपने पुत्र कैलाश को देखते ही झारखंड निवासी पूरण प्रसाद की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े.
2021 में शुरू हुआ था अपना घर आश्रम
आश्रम संचालन समिति से जुड़े संपत सोमानी बताते हैं कि कैलाश सहित 38 लोगों का अब तक पुनर्वास अपना घर आश्रम से हो चुका है और उनको अपने परिवार से मिलाया जा चुका है. अपना घर आश्रम की शुरूआत लावारिस और बेसहारा लोगों को आश्रय देने और उनके उपचार के साथ पुनर्वास कराने के मकसद से साल 2021 में डीडवाना के कुचामन सिटी में सामाजिक संस्था कुचामन विकास समिति ने की थी.
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