Dungarpur News: शिक्षा को लेकर सरकार कई दावे कर रही है. देश हाईटेक एजुकेशन की ओर बढ़ रहा है. लेकिन राजस्थान के आदिवासी अंचल डूंगरपुर में एक सरकारी स्कूल ऐसा है जो 25 सालों से एक केलूपोश कच्चे घर में चल रहा है. 1 कमरे के घर के आगे टाट बांधकर दूसरा कमरा बनाकर स्कूल चल रही है. मिट्टी के बने केलू भी 2 महीने से हटा दिए तो भीषण गर्मी में फटी पुरानी टाट लगाकर गर्मी से बचकर बच्चे बैठ रहे है. डेढ़ साल पहले विधायक ने स्कूल के लिए 25 लाख का बजट दिया. लेकिन निर्माण की धीमी गति से ये काम अब तक अधूरा है. हालांकि स्कूल भवन बनाने वाली पंचायत अब 15 दिनो में काम पूरा करने का दावा कर रही है.
टाट की क्लास, मिट्टी का कमरा
स्कूल के हेड मास्टर नाथूलाल और टीचर कांतिलाल असोड़ा ने बताया कि 1999 में राजीव गांधी स्कूल खुला था. तब से ये गांव के गंगाराम खराड़ी के केलूपोश घर में चल रहा है. स्कूल के नाम पर घर का एक 8 गुना 15 फीट का एक कमरा है. आगे का भाग खुला है, लेकिन टाट बांधकर दूसरा कमरा बनाया है. अंदर के कमरे में बच्चो के लिए रसोई बनती है. वही आगे के भाग में कक्षा 1 से 5 तक के 33 बच्चों को एक साथ बैठाकर पढ़ाई होती है.
विधायक ने दिए थे 25 लाख रूपये
घर के ठीक आगे एक नीम का पेड़ है. उसके नीचे बैठकर भी कई बार पढ़ाई होती है. स्कूल टीचर ने बताया कि खासकर बारिश के दिनो मे परेशानी होती है. मिट्टी के केलू की छत होने से पानी टपकता था. ऐसे में कई बार छुट्टी करनी पड़ती थी. स्कूल की हालत देखकर डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा ने वर्ष 2022 में भवन निर्माण के लिए 25 लाख रुपए का बजट घोषित किया.
जल्द बनेगा स्कूल
स्कूल भवन बनाने के लिए ग्राम पंचायत पाल पादर कार्यकारी एजेंसी ने एक पहाड़ी पर भवन बनाने का काम शुरू कर दिया. लेकिन स्कूल के काम में धीमी रफ्तार की वजह से आज तक पूरा नहीं हुआ है. स्कूल में 4 कमरे बनाए जा रहे है. भवन खड़ा होकर छत डाल दी है. लेकिन फर्श और प्लास्टर का काम बाकी है. बिछीवाड़ा उपप्रधान लालशंकर पंडवाला बताते है की स्कूल का भवन अगले 15 दिनो में पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा.
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