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गुरु पूर्णिमा विशेष: बूंदी के लाल लंगोट बाबा की इस जिद ने बदल दी पहाड़ की तस्वीर, जानें पूरी कहानी

Baba Bajrangdas: लाल लंगोट बाबा ने 20 वर्ष में 30 किमी पहाड़ को खुद काटकर रास्ता बना दिया. इस रास्ते से लोग आज भी सफर करते है.

गुरु पूर्णिमा विशेष: बूंदी के लाल लंगोट बाबा की इस जिद ने बदल दी पहाड़ की तस्वीर, जानें पूरी कहानी
बाबा बजरंगदास

Rajasthan News: पूरे देश भर में गुरु पूर्णिमा का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. विभिन्न मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है. लेकिन हम आपको ऐसी कहानी से रूबरू करवाने जा रहे हैं जो बूंदी के बाबा लाल लंगोट वालों की है. जिन्हें बाबा बजरंगदास के नाम से भी जाना जाता है. अपने भक्त और आम जनों को हो रही कठिनाइयों को देखते हुए बाबा ने खुद 20 वर्ष में करीब 30 किलोमीटर की पहाड़ी को खुद हाथों में छीनी हथोड़ा लेकर काटकर आमजन के लिए रास्ता बना दिया. करीब 34 ग्राम पंचायत के लोग आज इस 40 किलोमीटर के रास्ते को इस पहाड़ी पर चढ़कर 3 किलोमीटर में ही पूरा कर लेते हैं.

बाबा लाल लंगोट का निधन 6 वर्ष पहले हो चुका है लेकिन आज भी उनके आश्रम में भक्तों की भीड़ में कोई कमी नहीं है. गुरु पूर्णिमा के अवसर पर हर वर्ष यहां भक्त सवा लाख हनुमान चालीसा का पाठ निरंतर करते आ रहे हैं.

मांडपुर-गेंडोली की बजरंग घाटी

बाबा के सबसे करीब रहे भारत शर्मा ने बताया कि बाबा लाल लंगोट की पहाड़ काटने को लेकर अनूठी तपस्या थी. बाबा हमेशा आमजन के लिए तैयार रहते थे जो भी चढ़ावा उनके पास आता था. उसी चढ़ावा को वह आमजन में समर्पित करते थे. बूंदी शहर में कई गर्ल्स स्कूलों में उन्होंने कक्षाओं भवनों का निर्माण करवाया, अस्पताल में रैन बसेरा का निर्माण करवाया.

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बाबा ने लोगों की राह आसान बनाने के लिए 20 साल पहाड़ काटने के लिए दिन-रात मेहनत की. बाबा ने अपने हाथों से शिष्यों का सहयोग लेकर 20 वर्ष में पहाड़ काटकर रास्ता बना दिया था. इससे पहले ग्रामीणों को करीब 30 किमी का चक्कर लगाना पड़ता था. जो लोग पहाड़ चढ़ कर जाते थे, उन्हें और उनके मवेशियों को जान का खतरा रहता था.

क्यों लिया बाबा ने पहाड़ चिरने का फैसला  

एक भक्त ने बताया कि सन 1980 में बाबा के एक भक्त की पहाड़ी के चट्टानों में घोड़ी की गिरने से मौत हो गई थी, जिसकी पीड़ा भक्त ने बाबा को बताई. बाबा भक्त की पीड़ा सुनकर बहुत विचलित हुए और पहाड़ में आमजन के लिए रास्ता बनाने की ठान ली. बाबा हाथों में हथौड़ी और छीना लेकर पहाड़ खोदने लगे. भक्त बताते हैं कि बाबा दिन हो या रात कभी भी पहाड़ी पर चल जाते थे और रास्ता बनाने लग जाते थे.

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करीब 20 साल की मेहनत के बाद वे पहाड़ काट कर 20 फीट चौड़ा और 300 मीटर लंबा रास्ता बनाने में कामयाब हो गए. इस रास्ते में नैनवां तहसील की 14 और केपाटन पंचायत समिति की 20 ग्राम पंचायतों के लोगों को सुविधा हो रही रही है. जब यह रास्ता पूरी तरह सीसी हो जाए‌गा तो बड़ी गाड़ियां भी फरराटे से गुजरने लगेंगी.

वर्ष 2017 में बाबा का हुआ था निधन

आश्रम से जुड़े भरत शर्मा ने बताया कि पहाड़ी बनाने के बाद बाबा बजरंगदास बूंदी बाणगंगा रोड स्थित श्री नरसिंह आश्रम केसरिया खाल में भक्तों को आशीर्वाद देते थे. बाबा बीमार रहने लगे उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया. जहां कुछ दिनों बाद बाबा ने बाबा का निधन हो गया. निधन होने के बाद हाड़ोती सहित पूरे प्रदेश भर में शोक की लहर दौड़ गई. पूरे बूंदी शहर में उनकी अंतिम यात्रा में हजारों की तादाद में लोग शामिल हुए. बाबा की सवा लाख हनुमान चालीसा की इच्छा आज भी निरंतर पुरी की जा रही है. 

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