
Rajasthan News: राजस्थान का आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिला होली को लेकर अनूठी परंपराओं की वजह से प्रसिद्ध है. डूंगरपुर के भीलूड़ा गांव में होली के मौके पर शाम को रंग गुलाल नहीं पत्थरों की होली खेली गई. ढोल कुंडी की थाप पर होली की चीत्कार करते हुए दोनों गुटों ने एक दूसरे पर जमकर पत्थर बरसाए. पत्थरों की मार से 42 लोग घायल हो गए. किसी के हाथ तो किसी के पैर और सिर पर पत्थर लगे. घायलों का भीलूड़ा अस्पताल में इलाज करवाया गया.
वर्षों से चली आ रही परंपरा
आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में होली पर बरसो चली आ रही अनूठी परंपराएं आज भी निभाई जा रही है. भीलुड़ा में पत्थरों की होली (खूनी होली) को लेकर शुक्रवार शाम को आसपास के कई गांवों के लोग भीलुडा के रघुनाथजी मंदिर के पास इकट्ठे हुए. ढोल कुंडी की थाप पर बड़ी संख्या में आए लोगों ने गैर खेली. इसके बाद शुरू हुआ खूनी होली का खेल. रघुमाथजी मंदिर में दर्शनों के बाद गांव के लोग मंदिर के पास ही मैदान में पहुंचे. जहा गांवो के लोग दो गुटों में बंट गए.
लहुलूहान हो गए लोग
होली की चीत्कार करते हुए दोनों ही गुटो ने देखते ही देखते एक दूसरे पर पत्थर बरसाना शुरू कर दिया. हाथो में पत्थर लेकर एक दूसरे पर फेंके, तो कई ने गोफन से पत्थर मारे. पत्थर एक दूसरे के गुट के लोगों को लगे. वही लोग पत्थरों से बचने का प्रयास भी करते रहे.
पत्थरमार होली में कई लोगो के हाथ, पैर, सिर और शरीर पर कई जगह पत्थर लगे. जिससे चोटें आई और लहुलूहान हो गए. घायल लोगों को मौजूद दूसरे लोगों ने अस्पताल पहुंचाया.
होली में 42 लोग हुए घायल
एक-एक कर घायलों की संख्या बढ़ती गई. देर शाम तक चले इस पत्थर मार होली में 42 लोग घायल हो गए. वहीं डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ की टीम ने घायलों का इलाज किया. गांव के लोगों का कहना है की पत्थर मार होली की वजह से लोग घायल होते है. पत्थरों की चोंट से निकलने वाला खून जमीन पर गिरता है तो गांव में सालभर में कोई अनहोनी नहीं होती है. गांव में सालभर खुशहाली रहती है.
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