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राजस्थान के जिला अस्पताल में भारी अव्यवस्था, प्राइवेट लैब की चांदी, खतरे में गरीब मरीजों की जान

राजस्थान के बूंदी जिले से एक खौफनाक मंजर सामने आया है. यहां गरीब मरीजों की मुफ्त होने वाली जांच इन दिनों बंद है, जिससे मजबूरी में लोगों को प्राइवेट जांच करवानी पड़ रही है.

राजस्थान के जिला अस्पताल में भारी अव्यवस्था, प्राइवेट लैब की चांदी, खतरे में गरीब मरीजों की जान
सरकारी अस्पताल की तस्वीर

Rajasthan News: बूंदी जिला अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं के चलते सीबीसी, ईएसआर और ब्लड की जांच के लिए सैम्पल लेने में काम आने वाली ईडीटीए वायल की सप्लाई बंद हो गई है. लाखों की जांच मशीनें पिछले 3 दिनों से बंद हैं. जांच के लिए आने वाले आम लोगों को बाजार में जाकर महंगी जांच करवाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. जिसके चलते निजी लैबों की चांदी हो रही है. बूंदी अस्पताल में जिलेभर के मरीज आते हैं.

करीब रोज 400 से 500 मरीजों की ओपीडी रहती है, जिसमें से 350 से अधिक मरीजों की जांच रोज आती है. वहीं जिला अस्पताल में मरीजों की यूरिन से होने वाली जांच पिछले एक महीने से बंद पड़ी हुई है. वहीं प्रेग्नेंसी की जांच करने के लिए काम आने वाला यूपीटी किट पिछले 15 दिनों से खत्म है. जबकि बाहर की लैब में यह टेस्ट करीब 200 से 250 रुपए का हो रहा है.

सैकड़ों लोग हो रहे परेशान

मात्र सवा रुपये के हिसाब से आने वाली ईडीटीए वायल यानी सैंपैल लेने वाला किट की सप्लाई बंद हो गई है. जहां व्याप्त अव्यवस्थाओं के चलते ईडीटीए वायल की सप्लाई करने वाली चार फर्मो का चिकित्सा प्रशासन द्वारा अक्टूबर माह से भुगतान नहीं कर पाने से उक्त फर्मों द्वारा ईडीटीए वायल की सप्लाई रोक दिये जाने से पिछले 3 दिनों से अस्पताल में हर रोज आने वाले 300 से 350 लोगों की डॉक्टर्स द्वारा सीबीसी, ईएसआर, ब्लड और यूरिन की जांच नहीं हो पा रही है. इसके चलते जांचो के लिए दर-दर भटकने पर मजबूर हो रहे आम लोगों को बाजार में जाकर महंगी जांचे करवाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

गर्भवती महिलाओं को हो रही परेशानी

जिला अस्पताल में मरीजों की यूरिन से होने वाली जांच पिछले एक महीने से बंद पड़ी हुई है. प्रेग्नेंसी की जांच करने के लिए काम आने वाला यूपीटी किट पिछले 15 दिनों से खत्म है, लेकिन जिम्मेदारों को इससे कोई लेना-देना नहीं है. हालात इस कदर खराब हो रहे हैं कि भर्ती मरीजों को भी बाहर जाकर जांचों का सैंपल देना पड़ रहा है. लैब में मल्टी स्टिक और यूरिन स्टिक खत्म हो रही है, इसलिए जांच नहीं हो रही.

सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवतियों को होती है. अस्पताल की लैब में गर्भवतियों के यूरिन फॉर प्रेग्नेंसी टेस्ट (यूपीटी) तक नहीं हो पा रहे हैं. ऐसे में महिलाओं को बाहर जाकर निजी लैब में टेस्ट करवाना पड़ रहा है. लैब में बीते 15 दिन से यह टेस्ट नहीं हो रहे हैं. बाहर की लैब में यह टेस्ट करीब 200 से 250 रुपए का हो रहा है. जिला अस्पताल में 150 से ज्यादा गर्भवती रोजाना यूपीटी करवाती हैं. 15 दिन में मरीज 5 लाख 62 हजार 500 रुपए बाहर की लैब को दे चुके हैं, जबकि यह जांच निशुल्क होनी थी.

अस्पताल के लिए नहीं मिले बजट

PMO प्रभारी विजय ने कहा कि प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद अभी तक अस्पताल के लिए बजट नहीं दिये जाने से ईटीटीए वायल सप्लाई करने वाली चार फर्मों की अक्टूबर माह से बकाया राशि चल रही है. आगे से बजट नहीं आ रहा है, बजट को लेकर हर महीने उच्चाधिकारियों को अवगत कराते आ रहे हैं. लैब को लेकर संसाधन उपलब्ध करवाने वाली कंपनी ने हमें साफ मना कर दिया है. बकाया भुगतान आने के बाद ही जरूरी उपकरण भिजवाए जाएंगे.

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